प्रगतिशील किसानों के लिए अंगूर की खेती कमाई का एक अच्छा जरिया बन सकता है. यदि एक एकड़ में अंगूर की खेती की जाए तो 6-7 लाख रुपये की कमाई सालभर में की जा सकती है. हालांकि की अंगूर की खेती में प्रति एकड़ 3 से 4 लाख रुपये का खर्च आता है. इसके बावजूद 3 से 4 लाख रुपये की कमाई इससे हो जाती है. अंगूर की खेती काफी जोखिम भरी होती है लेकिन यदि मौसम ठीकठाक रहता है तो बड़े पैमाने पर अंगूर की उपज ली जा सकती है. अंगूर की पहली कटाई सितम्बर माह में शुरू हो जाती है. नाशिक के कई किसान अंगूर की सफलतम खेती कर रहे हैं. महाराष्ट्र में इसी क्षेत्र में सबसे पहले अंगूर तैयार होते हैं. जो विदेशों तक जाते हैं. नाशिक का अर्ली इलाका अंगूर की खेती के लिए खासतौर पर जाना जाता है.
कैसे लगाए बगीचा
अंगूर का बगीचा लगाने के लिए बाड़ का उपयोग किया जाता है. लाइन से लगे पौधों के बीच लोहे के एंगल लगाए जाते हैं जिसपर जाल तैयार की जाती है. इन्हीं एंग्लस की सहायता से अंगूर के पौधे जाल पर फैल जाते हैं. अंगूर की खेती के लिए कटिंग महत्वपूर्ण मानी जाती है. साल में दो बार पौधों की कटिंग करना आवश्यक होता है. कटिंग से ही फल का अनुमान लग जाता है कि कितने दिन में तैयार होंगे. महाराष्ट्र में नाशिक के अलावा पुणे और सांगली जिले में इसकी अच्छी खेती होती हैं. बगीचे के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी लगभग नौ फीट होती है. वहीं पौधे से पौधे की दूरी 5 फीट की रखी जाती है. एक एकड़ के बगीचे में तक़रीबन 950 पेड़ लगते हैं. इनमें 18 महीने बाद ही अंगूर आना शुरू हो जाते हैं. एक एकड़ से 1200-1300 किलो अंगूर पैदावार ली जा सकती है.
क़िस्म और खर्च
भारत में अंगूर की थामसन क़िस्म का अंगूर प्रचलित है. जिसकी देश ही नहीं विदेश में भी मांग रहती है. ये अंगूर शुरुआत में हरा होता है लेकिन पकने के बाद हल्का लाल रंग का हो जाता है. यह काफी मीठा होता है और जल्दी ख़राब नहीं होता है. यही वजह है कि बाजार में इसकी मांग रहती है. इसकी खेती के लिए काली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसका पीएच मान 5 से 7 होता है. अंगूर के शुरूआती बगीचे में पांच लाख का खर्च आता है लेकिन में इसके रखरखाव में 2 लाख रूपये साल का खर्च आता है. जिसमें दवाई, कटिंग, मजदूरी जैसे अन्य खर्च होते हैं. इसकी खेती के लिए गर्म और शुष्क मौसम सर्वोत्तम होता है. इसके सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन तकनीक का उपयोग किया जाता है.
जोख़िम क्या है
अंगूर खेती काफी जोखिमभरी होती है. कई बार मौसम ठीक ठाक न होने के कारण किसानों भारी नुकसान उठाना पड़ता है. बारिश के समय अंगूर के पौधों में कल्ले कम निकलते हैं. वहीं फूल आने के बारिश होने पर फूल झरने का डर रहता है. अंगूर की खेती के लिए ज्यादा बारिश, ज्यादा सर्दी और ज्यादा गर्मी नुकसानदायक होती है.