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Updated on: 28 November, 2022 5:26 PM IST
च्यूरा वृक्ष से बनता है घी, हर एक हिस्से में मौजूद हैं औषधिय गुण

हमारे प्रकृति में बहुत से ऐसी चीजें मौजूद हैंजिसके बिनाह पर मनुष्य जीवन संभव है. आज इसी कड़ी में हम एक ऐसे पेड़ की जानकारी साझा करने जा रहे हैंजिससे घी बनाया जाता है. इस खास पेड़ का नाम है कल्पवृक्ष जिसे स्थानिय भाषा में च्यूरा वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है और कई लोग इसे बटर ट्री (Butter Tree) भी कहते हैं. इस पेड़ की खास बात यह है कि इसका हर एक भाग बहुउपयोगी माना जाता है. लकड़ी से लेकर फूल, पत्ते, जड़ व फल किसी ना किसी कार्य में उपयोग होते हैं.

च्यूरा वृक्ष

च्यूरा का पेड़ उत्तराखंड के कुमाऊ मंडल में पाया जाता हैखास कर के अल्मोड़ापिथौरागढ़बागेश्वर और चंपावत जिले के पनाररामगंगाकाली में यह वृक्ष बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुमाऊं मंडल में लगभग 60 हजार च्यूरा के वृक्ष हैं और जिनमें से 40 हजार वृक्षों से बीज व फल प्राप्त किया जाता है.

च्यूरा वृक्ष के खिलने का समय जनवरी से शुरु होकर अक्टूबर तक होता है. इसके फल खाने में बेहद स्वादिष्ट- मीठेसुगंधित और रसीले होते हैंजिसे बच्चें समेत जानवर बड़े चाव के साथ खाते हैं.

इस पेड़ के बीजों से बनता है घी

च्यूरा वृक्ष बहुउपयोगी हैमगर इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग घी बनाने के लिए किया जाता है. च्यूरा के बीजों से घी बनाने की प्रक्रिया 2 तरह की है-

 पारंपरिक रुप से घी बनाना :- च्यूरा के पेड़ पर लगे फल को सेवन में लाया जाता हैफिर उसकी गुठलियों को सूखाया जाता है. सूखने के बाद इसे भूना जाता हैजिसके बाद इसे जल्दी से ओखली में कूटा जाता है. कूटने पर इसकी बारिक लद्दी तैयार हो जाती है. फिर उसे बाहर निकालकर एक कपड़े की सहायता से निचौड़ा जाता है. जिसके बाद छना हुआ अलग तेल कुछ ही देर में घी की शक्ल ले लेता है.

मशीनों से घी बनाना:- च्यूरा के बीजों से घी बनाने के लिए मशीनों का भी इस्तेमाल किया जाता है. जिससे श्रम बल में कमी आती है तथा समय की भी बचत होती है.

च्यूरा वृक्ष की खासियत

  • च्यूरा वृक्ष के हर एक भाग उपयोगी माना जाता है. च्यूरा का पेड़ दिखने में बड़ा तथा मजबूत होता है. इसकी मजबूत जड़ें पहाड़ों पर भू- कटाव को रोकने के लिए बहुत ही उपयोगी हैंतभी तो जहां पर इन वृक्षों की तादाद अधिक है वहां पर भूस्खलन की घटनाएं बेहद कम होती हैं.

  • च्यूरा वृक्ष की पत्तियों को पशुओं के लिए चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह दूधारू पशुओं के लिए दूध उत्पादन में वृद्धि करती हैं. इसके साथ ही च्यूरा वृक्ष को धार्मिक अनुष्ठानों में बेहद शुभ माना जाता हैइसकी पत्तियों का इस्तेमाल शुभ कार्योंपूजा-पाठ में किया जाता है.

  • च्यूरा के पत्तों का इस्तेमाल डिस्पोजल थाली व डोने बनाने में किया जाता है. इसके अलावा च्यूरा के बीजों की खली को जलाकर मच्छर व हानिकारक कीड़े -मकोड़ों को भगाया जाता है.

  • च्यूरा के बीजों से बने घी का इस्तेमाल घर में दीप जलाने के लिए भी किया जाता है. इसके अलावा मोमबत्ती के तौर पर उपयोग किया जाता है. इससे उत्पन्न होने वाला प्रकाश तेज रोशनी देता है तथा वातावरण को मधुर सुगंध से शुद्ध करता है. इससे उत्सर्जित होने वाला कार्बन पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाता है.

  • च्यूरे के घी को त्वचा के लिए भी बेहद लाभदायक माना जाता है. सर्दियों में रुखी त्वचा व त्वचा को फटने से रोकने के लिए लोशन के तौर पर उपयोग किया जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल सौन्दर्य उत्पादों में किया जाता है.

  • च्यूरा के वृक्ष की लकड़ियों बहुत मजबूत व भार में हल्की होती हैं, जो कि पानी में सड़ती नहीं हैं. इसी वजह से इसकी लड़कियों का इस्तेमाल फर्निचर व इमारती उपयोग में किया जाता है.

  • च्यूरे की लकड़ी का इस्तेमाल नाव बनाने में भी किया जाता है.

  • इसकी लकड़ी का इस्तेमाल ईँधन के रुप में किया जाता हैजिससे बहुत ही कम घुंआ उत्सर्जित होता है.

  • च्यूरा की लकड़ी को ईधन के तौर पर जलाने के बाद, इसकी राख को बर्तन साफ करने के लिए उपयोग में लाया जाता है.

  • च्यूरा से साबुन भी बनाया जाता है, जो कि बाजार में 80 से 150 रुपए में बिकता है.

  • च्यूरा के फूलों के रस से मधुमक्खियां शहद बनाती हैंजो कि बेहद उत्तम गुणवत्ता का माना जाता है.

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च्यूरा वृक्ष में है औषधिय गुण

  • च्यूरा वृक्ष में कई औषधिय गुण मौजूद हैं. इसके फूलों से प्राप्त शहद को मधुमेह तथा अस्थमा के मरीजों के उपचार के लिए उपयोग में लाया जाता है.

  • च्यूरा के जड़ों से टॉनिक बनाकर इसको बीमारी में उपयोग में लाया जाता है.

English Summary: Ghee is made from Chyura tree, every part has medicinal properties
Published on: 28 November 2022, 05:26 PM IST

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