आज कृषि जागरण अपने किसान भाईयों के लिए बाजरा की खेती (Millet Cultivation) की जानकारी लेकर आया है. हमारे देश के कई राज्यों के किसान भाई अपने क्षेत्रों में बाजरा की उन्नत खेती करते होंगे, लेकिन फिर भी हमारे किसान भाईयों को फसल का अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाता है. बस आज हम इसी समस्या का समाधान लेकर आए हैं, इसलिए हमारे इस लेख को किसान भाई अंत तक जरूर पढ़ते रहें
जानकारी के लिए बता दें कि देश के शुष्क और अर्ध शुष्क, दोनों क्षेत्रों में खरीफ सीजन में बाजरे की खेती होती है. किसानों के लिए यह एक ऐसी फसल है, जो कम लागत और बिना सिंचाई के उगाई जा सकती है. आइए आज किसानों बाजरा की उन्नत खेती (Millet Cultivation) का बेहद आसान तरीका बताते हैं.
बाजरा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for the cultivation of millet)
इसकी खेती के लिए गर्म जलवायु और 400 से 600 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए 32 से 37 सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना गया है.
बाजरा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Soil suitable for cultivation of millet)
फसल के लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि चाहिए और बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है. बाजरे के लिए भारी भूमि कम अनुकूल रहती है. किसान भाई ध्यान दें कि बाजरा की खेती (Millet Cultivation) से पहले एक बार खेती की मिट्टी का परीक्षण भी करा लें.
फसल चक्र (Crop circle)
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किसानों के लिए मिटटी की उर्वरता बनाए रखने के लिए फसल चक्र अपनाना बेहद जरूरी है.
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बाजरा – गेहूं या जौ
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बाजरा – सरसों या तारामीरा
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बाजरा – चना, मटर या मसूर
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बाजरा – गेहूं या सरसों – ग्वार, ज्वार या मक्का (चारे के लिए)
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बाजरा – सरसों – ग्रीष्मकालीन मूंग
बाजरा की उन्नत किस्में (Improved varieties of millet)
बाजरा के अच्छे उत्पादन के लिए किसान कई उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते हैं, जो नीचे लिखी गई हैं.
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आई.सी.एम्.बी 155
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डब्लू.सी.सी. 75
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आई.सी.टी.बी. 8203
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पूसा 322 (संकर किस्म)
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पूसा 23
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आई.सी ऍम एच्. 441
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पायोनियर बाजरा बीज 86m90
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पीओनिर 86 एम 88
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कावेरी सुपर बॉस (संकर किस्म)
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एच -एच -बी 66 (संकर किस्म)
खेत की तैयारी (Farm preparation)
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सबसे पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए.
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फिर 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए.
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इसके बाद मिट्टी को अच्छी तरह भुरभुरा बनाकर पाटा लगाना चाहिए.
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आख़िरी जुताई में 100 से 125 कुंतल सड़ी गोबर की खाद अच्छे तरह मिला देनी चाहिए.
बुवाई का समय व विधि (Sowing time and method)
बारिश होते ही जुलाई के दूसरे सप्ताह तक कतारो में बीज को 2 से 3 सेमी. गहराई पर बोना चाहिए. इसके साथ ही लाइन से लाइन 45 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 10 -15 सेमी. रखनी चाहिए.
बीज की मात्र (Seed quantity)
इसके लिए 4 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज उत्तम रहता है. अगर बीज उपचारित नहीं है, तो बुवाई से पहले एक किलोग्राम बीज को थीरम 2.5 ग्राम से शोधित कर लेना चाहिए.
खाद और उर्वरक (Manures and fertilizers)
खेत की आख़िरी जुताई में 100 से 125 कुंतल गोबर की सड़ी खाद मिलाएं. उर्वरको का प्रयोग भूमि परीक्षण के आधार पर करें.
सिंचाई (Irrigation)
बारिश में बुवाई के कारण वर्षा का ही पानी पर्याप्त होता है, लेकिन अगर बारिश न हो, तो फसल में फूल आने पर एक या दो सिंचाई कर दें. जल निकास का प्रबंधन जरूरी है.
खरपतवार प्रबंधन (Weed Management)
इसके लिए 1 किलोग्राम एट्राजीन या पेंडिमिथालिन 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़क देना चाहिए. यह छिड़काव बुवाई के बाद और अंकुरण से पहले करनी चाहिए. इसके साथ ही बुवाई के 20 से 30 दिन बाद एक बार खुरपी या कसौला से खरपतवार निकाल देना चाहिए.
रोग और कीट नियंत्रण (Disease and pest control)
इस फसल में मृदु रोमिल आसिता, अर्गट, बाजरे का कण्डुआ व हरित बाली रोग का प्रकोप हो जाता है. इनके नियंत्रण के लिए बीज शोधन करें. इसके साथ ही खेत में लगातार बाजरा की फसल न लें. इसके अलावा फसल में तन छेदक, प्ररोह मख्खी, पत्ती लपेटक, माहू आदि कीचट का प्रकोप हो जाता है. इनके नियंत्रण के लिए खेत में पुराने पड़े अवशेषों को इकट्ठा करके जला दें.
पैदावार (Yield)
अगर हमारे किसान भाई उपरोक्त विधि से बाजरे की खेती करते हैं, तो सिंचित अवस्था में प्रति हेक्टर लगभग 3 से 4.5 टन दाना और 9 से 10 टन सूखा चारा प्राप्त हो सकता है. असिंचित अवस्था में प्रति हेक्टेयर 2 से 3 टन दाना व 6 से 7 टन सूखा चारा मिल सकता है.
भंडारण (Storage)
बाजरे का उत्पादन लेने के लिए किसान भाईयों को सबसे ज्यादा ध्यान फसल भंडारण पर देना है. इसके लिए दानों को अच्छी तरह धूप में सुखाएं, फिर दानों में नमी की मात्रा 8 से 10 प्रतिशत होने पर उपयुक्त स्थान पर भंडारण करें. अपने किसान भाईयों को बता दें कि आप बाजरे की खेती से काफी अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.