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Updated on: 3 November, 2020 5:31 PM IST

भारत में अफीम की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में होती है. वहीं देश के अन्य राज्यों में इसकी खेती नहीं होती है. मध्य प्रदेश के रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले में इसकी खेती होती है. भारत में अफीम की खेती कानूनी तौर पर की जाती है. अफीम की खेती वही किसान कर सकते हैं जिनके पास लाइसेंस होता है. अन्य किसान इसकी खेती नहीं कर सकते हैं. तो आइये जानते हैं अफीम की खेती के लिए सरकार लाइसेंस कैसे देती है -

क्या है अफीम?

आम लोगों के लिए अफीम एक लोकप्रिय मादक पदार्थ माना जाता है. आमतौर इसे लोग हैरोइन का सोर्स मानते हैं. लेकिन देश में अफीम का उपयोग वैध ड्रग व्यापार के लिए होता है. इसके बीजों से प्राप्त मार्फिन, लेटेक्स, कोडेन और पनैनथ्रिन शक्तिशाली एल्कालोड्स का सोर्स होता है. इसके बीजों में अनेक रासायनिक तत्व पाए जाते हैं. 

कैसा होता है पौधा

आमतौर पर अफीम पौधे की लंबाई 3-4 फुट होती है. यह हरे रेशों और चिकने काण्डवाला पौधा होता है. अफीम के पत्ते लम्बे, डंठल विहीन और गुड़हल के पत्तों जैसा होता है. वहीं इसके फूल सफ़ेद और नीले रंग और कटोरीनुमा होते हैं. जबकि अफीम का रंग काला होता है. इसका स्वाद बेहद कड़वा होता है. इसे हिंदी में अफीम, सस्कृत में अहिफेन, मराठी आफूा और अंग्रेजी ओपियुम और पोपी कहा जाता है. 

ये है लाइसेंस की प्रक्रिया

केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग लाइसेंस देने की प्रक्रिया और उपज लेने की प्रक्रिया को पूरा करता है. भारत में पहले अन्य राज्यों में अफीम की खेती के प्रयास किए गए. लेकिन वहां का मौसम इसकी खेती के लिए अनुकूल नहीं रहा. इसलिए उन राज्यों के किसानों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए. वर्तमान में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्य में ही इसकी खेती होती है. यह लाइसेंस उन्हीं किसानों को मिलता है जो पहले से ही अफीम की खेती कर रहे हैं और सरकारी नियमों का पालन किया हो. सरकार के मापदंडों के मुताबिक, उत्पादन और गुणवत्ता दी हो. पात्र किसानों को लाइसेंस एक साल के लिए दिया जाता है. एक साल के बाद फिर से नया लाइसेंस जारी किया जाता है. सरकार अपनी अफीमनीति के तहत लाइसेंस देती है. इसके लिए लाइसेंस के लिए कोई आवेदन नहीं करना पड़ता है बल्कि पहले से मौजूद रिकॉर्ड के आधार पर ही लाइसेंस दिया जाता है. इसके लिए यह भी देखा जाता है कि जो किसान इसकी खेती कर रहा है उसके ऊपर स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम-1985 का कोई आरोप तो नहीं है. 

क्या है वर्ष 2020-21 की अफीम नीति-

केंद्र सरकार ने साल वर्ष 2020-21 के लिए अफीम नीति जारी कर दी है. जिसके तहत अफीम करने क्षेत्रों में किसानों को अफीम के पट्टे जारी कर दिए गए हैं. वहीं अफीम की खेती करने वाले किसानों को सरकार ने कुछ सौगातें भी दी है. इस साल अफीम खेती के लिए आवश्यक न्यूनतम मार्फिन का मानक 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर रखा गया है. बता दें कि पिछले साल देश के 39 हजार किसानों ने अफीम की खेती की थी.

English Summary: general conditions for grant of license during opium crop
Published on: 03 November 2020, 05:36 PM IST

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