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Updated on: 25 June, 2021 5:50 PM IST
सोयाबीन की खेती

सोयाबीन को गोल्डन बीन के नाम से  भी जाना जाता है. सोयाबीन फलीदार फसल परिवार से संबंध रखता है  और मूल रुप से पूर्वी भारत में इसकी खेती होती है. सोयाबीन एक समृध्द प्रोटीन युक्त भोजन है.  भारत में सोयाबीन तेल सबसे ज्यादा लोकप्रिय और उपयोग किया जाने वाला खाद्य है. सोया का उपयोग दुग्ध उत्पाद के रूप में भी किया जाता है और सोया चंक्स के रूप में भी उपलब्ध होता है जिसे भारत में मील मेकर भी कहा जाता है.

सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

सोयाबीन गर्म और नम जलवायु में अच्छी तरह से पनपती है. इसकी खेती के लिए तापमान 26-32 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। सोयाबीन की खेती के लिए मिट्टी का तापमान 16 सेल्सियस या उससे अधिक होना चाहिए। इससे सोयाबीन की फसल को अंकुरण वृध्दि बढ़ता है. बता दें कि कम तापमान से इसमें अंकुरण प्रक्रिया कम हो सकती है.

सोयाबीन उगाने का सबसे अच्छा मौसम

सोयाबीन की बुवाई का सर्वोत्तम मौसम जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के मध्य तक होता है.

सोयाबीन की खेती में मिट्टी की आवश्यकता

सोयाबीन की खेती के लिए अच्छी जल निकासी की आवश्यकता होती है और 6.0 से 7.5 के बीच पीएच रेंज वाली उपजाऊ दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे अनुकूल होती है. बता दें कि लवणीय मिट्टी सोयाबीन के बीजों के अंकुरण को रोकते हैं.

सोयाबीन की खेती के लिए भूमि चयन और उसकी तैयारी

भूमि, सोयाबीन की खेती और उत्पादन को काफी प्रभावित करती है. खेती से पहले यह ध्यान रहे कि पिछले सीजन में सोयाबीन की फसल के साथ नहीं बोया जाना चाहिए, ताकि स्वयंसेवी पौधों से बचा जा सके जो कि मिश्रण का कारण बनते हैं. उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली मिट्टी, उत्पादन में काफी मदद करती है.  खेती की प्रथाओं के आधार पर सोयाबीन को 4 फीट चौड़ा  और 1 फीट चौड़ा मेड़ और खांचे में बोना चाहिए.

सोयाबीन की खेती के लिए बीज चयन 

सोयाबीन के बीज जो बुवाई के लिए उपयोग किए जाते हैं वे एक प्रामाणिक स्रोत से होने चाहिए  साथ ही बीजों की अनुवांशिक शुध्दता बहुत जरुरी होती है. बीजों को रोगग्रस्त, अपरिपक्व, कठोर, क्षतिग्रस्त, सिकुड़े हुए नहीं होना चाहिए। हमें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए. बुवाई के लिए चुना गया बीज भी एक अच्छे खेत के लिए जरुरी होता है.

सोयाबीन फसल की बुवाई

सोयाबीन की बुवाई 45 सेमी से 65 सेमी की दूरी पर सीड ड्रिलर की सहायता से या हल के पीछे से करनी चाहिए. पौधे से पौधे की दूरी 4cm से 5cm . तक होनी चाहिए. इसकी बुवाई 3-4 से.मी. गड्डे से ज्यादा नही होनी चाहिए।

सोयाबीन फसल की सिंचाई

आमतौर पर सोयाबीन की खेती में सिंचाई की जरुरत खरीफ सीजन के दौरान नहीं पड़ती है. लेकिन यदि फली भरने के समय कोई लंबा सूखा पड़ता है, तो एक सिंचाई की आवश्यकता होती है. इसके साथ ही बरसात को मौसम में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी में जल का भराव नहीं होना चाहिए.

सोयाबीन फसल की कटाई

सोयाबीन की फसल की परिपक्वता अवधि 50 से 145 दिनों तक होती है जो खेती के लिए उपयोग की जाने वाली किस्मों पर निर्भर करती है.  सोयाबीन की फसल जब परिपक्व हो जाती है तव उसकी पत्तियां पीली हो जाती हैं, और सोयाबीन की फली बहुत जल्दी सूख जाती है. कटाई के समय, बीजों में नमी की मात्रा लगभग 15% होनी चाहिए। फसल की कटाई जमीनी स्तर पर डंठल तोड़कर, या हाथ से या दरांती से की जानी चाहिए.

सोयाबीन फसल की उपज

 इसकी औसत पौदावार 18-35 क्विंटल होती है.

English Summary: full information of soyabean cultivation
Published on: 25 June 2021, 05:53 PM IST

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