सूरजमुखी की फसल देखने में जितनी खूबसूरत होती है, उतने ही लाभकारी भी होती है. इसके फूलों और बीजों में कई औषधीय पाए जाते हैं, जो कि दिल और कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से बचाव करने में सहायक होते हैं. ऐसे में सूरजमुखी की खेती (Farming Of Sunflower ) किसानों के लिए बहुत लाभदायक होती है, क्योंकि इससे निकलने वाला तेल खाने के लिए उपयोग किया जाता है.
वह हमारी सेहत के साथ-साथ आमदनी के लिए काफी मुनाफेदार साबित होता है. इस बात की जानकारी हरियाणा राज्य के पलवल के कृषि वैज्ञानिक डा. महावीर सिंह मलिक (Agricultural Scientist Dr. Mahavir Singh Malik) ने दी है.
उनका कहना है कि इसके लाभकारी गुण के चलते इसकी खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी है, इसलिए अगर सूरजमुखी की बुवाई किसानों को अधिक लाभ देगी.
सूरजमुखी की बुवाई प्रक्रिया (Sowing Process Of Sunflower)
वैसे सूरजमुखी की बुवाई सभी मौसमों में की जा सकती है, लेकिन 15 फरवरी तक का समय इसकी बुवाई के लिए उपयुक्त माना गया है.
सूरजमुखी की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Sunflower)
इसकी बुवाई के लिए अच्छी किस्मों का चयन जरुरी है, इसलिए एमएसएफ आठ केबी, 44 पीएससी 36, एच एसएसएच 848 आदि संकर किस्मों का चयन किया जा सकता है. यह किस्म 95 दिन में पककर तैयार होती है. इसमें 40 प्रतिशत तेल निकलता है एवं इससे 8 से 10 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन प्राप्त होता है. इसके अलावा पछेती बुवाई के लिए संजीन 85, प्रोसन नौ तथा एमएसएसएच 848 किस्मों अच्छी होती हैं. बता दें कि सूरजमुखी की पछेती बुवाई मार्च के पहले हफ्ते तक पूरी कर लेनी चाहिए. इसके अलावा सूरजमुखी की हरियाणा सूरजमुखी नंबर एक उन्नत किस्म है, जो खेती के लिए उत्तम मानी जाती है. इस किस्म के बीज की बुवाई करने के लिए बीज को चार से छह घंटे पानी में भिगोकर रखें. इसके बाद छाया में सुखाकर बुवाई करें.