भारत में प्याज की खेती पर चर्चा करें, तो इसकी खेती उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में की जाती है. प्याज की मांग पूरे वर्ष ही रहती है. जिस वजह से किसान इसकी खेती करना भी अधिक पसंद करते हैं.
इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को प्याज की खेती (Onion Farming) के लिए कु्छ टिप्स (Tips) दिए हैं. तो आइये जानते हैं प्याज की खेती के लिए क्या ख़ास टिप्स हैं, जिसकी मदद से किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों ने दी फार्मिंग टिप्स (Agricultural scientists gave farming tips)
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्याज की रोपाई करने का सही वक्त है. रोपाई वाले पौधे छह सप्ताह से ज्यादा के नहीं होने चाहिए. पौधों की छोटी क्यारियों में रोपाई करें और 10-15 दिन पहले प्रति एकड़ खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें. इसी तरह 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-70 किलोग्राम फॉस्फोरस तथा 80-100 किलोग्राम पोटाश आखिरी जुताई में डालें. पौधों की रोपाई अधिक गहराई में नहीं होनी चाहिए तथा कतार से कतार की दूरी 15 सेंमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंमी रखें. इससे किसानों (Farmers) को लाभ होगा. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने 30 जनवरी तक के मौसम को देखते हुए दूसरी फसलों के लिए भी एडवाइजरी जारी की है.
कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए किसानों को सलाह है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों (Farm Activity) के दौरान मास्क का उपयोग करें और उचित दूरी बनाए रखें. बीते दिनों की बारिश की संभावना को देखते हुए अगले कुछ दिनों के लिए सभी खड़ी फसलों (Crop) में सिंचाई तथा किसी भी प्रकार का छिड़काव न करें.
सरसों की फसल में चेपा रोग (Chepa’s disease in mustard crop)
मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि सरसों की फसल में चेपा कीट की निरंतर निगरानी करते रहें. प्रारम्भिक अवस्था में प्रभावित भाग को काट कर नष्ट कर दें, ताकि उसका संक्रमण पूरी फसल में ना फैले. चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी करते रहें. इसी तरह कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पाली घरों में रखें.
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आलू और गोभी की फसल के लिए जारी की एडवाइजरी (Advisory issued for potato and cabbage crop)
इस मौसम में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की रोपाई मेड़ों पर कर सकते हैं. इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुवाई कर सकते हैं. पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं. मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी है कि वे आलू तथा टमाटर में पछेता झुलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें. प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देने पर इंडोफिल-एम-45 @ 2 मिली\लीटर पानी या मेन्कोजेब 2.0 ग्राम\लीटर पानी में मिलाकर आसमान साफ होने पर स्प्रे करें.
गेंदे के फूल में सड़न के लिए उपाय (Remedy for rot in marigold flower)
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक तथा टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं. गेंदे की फसल में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें. यदि लक्षण दिखाई दे, तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर अथवा इन्डोफिल-एम 45:2 मिली/लीटर पानी में मिलाकर आसमान साफ होने पर स्प्रे करें.