Fish Farming: गोमती नदी भारत की महत्वपूर्ण नदियों में से एक है. जो उत्तर प्रदेश राज्य में बहती है. यह गंगा नदी की एक प्रमुख उपनदी है. इसका उद्गम उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के माधोटांडा ग्राम के समीप स्थित गोमत ताल से होता है. जौनपुर जिले में सैदपुर के पास गंगा नदी में मिलने से पहले यह नदी शाहजहाँपुर, हरदोई, लखनऊ और जौनपुर सहित कई जिलों से होकर बहती है. गोमती नदी कई जलीय जीव जन्तु जैसे मछलियों, मोलस्क, क्रस्टेशियंस और अन्य वनस्पतियों और जीवों का घर है. लेकिन अब मानव हस्तक्षेप के कारण यह लुप्त हो रही है. नदी में इंडस्ट्रियल अपशिष्ट, कृषि उपयोग, और घरेलू निकायों से प्रदूषण उत्पन्न होता है. जिससे नदी का पानी प्रदूषित होता है. यह प्रदूषण नदी में मछलियों को संक्रमित कर सकता है और पानी की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है.
नदी में बांधों का निर्माण और बांधों की विकास नदी के पानी के प्रवाह को रोक सकता है. जिससे पानी की स्तर में परिवर्तन होता है और प्राकृतिक पानी के प्रवाह के प्रकार पर असर पड़ता है. नदी में अवैध जलसंचार की अधिकता से पानी की गुणवत्ता कम हो सकती है. जिससे स्थानीय लोगों को प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त पानी की उपलब्धता में कमी हो सकती है. नदी का अत्यधिक उपयोग और उसका अत्यधिक उत्पादन नदी की संतुलन क्षमता को प्रभावित कर सकता है और इसे प्रतिष्ठित अवस्था से बाहर ले जा सकता है.
जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप नदी की जलसंधि, जलस्रोतों, और पानी के प्रवाह में परिवर्तन हो सकता है. जिससे नदी के वातावरणिक संतुलन पर असर पड़ सकता है. हमें कुछ विकृत (डेफोर्मेड) मछलियाँ भी मिलीं है. जिसके फलश्वरूप प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन हो सकता है. यह गंभीर संकेत है, कि नदी की स्वास्थ्य पर कितना बड़ा प्रभाव पड़ रहा है. लखनऊ के पक्का पुल के पास, गोमती नदी पर अस्थायी अवरोधों के निर्माण से मछली प्रवास में बाधा आ रही है.
मछली प्रवास कई मछली प्रजातियों के जीवन चक्र के लिए महत्वपूर्ण है. वे विभिन्न कारणों से प्रवास करते हैं. जिनमें प्रजनन, भोजन ढूंढना और प्रतिकूल परिस्थितियों से बचना शामिल है. बांध, मेड़ या अस्थायी संरचनाएं जैसी बाधाओं से मछली के प्रवास मार्गों में बाधा आती है. जिससे मछली की आबादी घट सकती है, और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बाधित हो सकता है. साथ ही स्थानीय मछुआरों और उनके परिवारों की आजीविका भी प्रभावित हो सकती है. कृपया आइए, हम अपने जलमार्गों की रक्षा करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुमूल्य पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करें. हालाँकि, नदी पारिस्थितिकी तंत्र पर व्यापक प्रभाव और ऐसे कार्यों की दीर्घकालिक स्थिरता पर विचार करना महत्वपूर्ण है. हमें प्रकृति के लाभ के लिए हमारी नदियों को मुक्त-प्रवाहित रखना होगा. मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि पर्यावरण एजेंसियां या संरक्षण समूह इस मुद्दे के समाधान और लखनऊ की जीवन रेखा की रक्षा के लिए उचित कार्रवाई करें.
संरक्षण के उपाय
नदी में प्रभावी संरक्षण के लिए मछली और नदी पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए संरक्षण क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है और जलीय संसाधनों पर कुछ तनाव को दूर करने की आवश्यकता है. सरकार को गोमती नदी के पारिस्थितिकी संतुलन को संरक्षित करने के लिए सशक्त नियामक प्रणाली को स्थापित करना चाहिए. अवैध माछाधारी को रोकने और मछलियों के प्रवास को सुरक्षित बनाने के लिए कठोर कानूनी कार्रवाई की जरूरत है. नदी में प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त नियंत्रण कार्यक्रम लागू किए जाने चाहिए. औद्योगिक अपशिष्ट को उपयुक्त तरीके से निस्तारित करना और साफ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.
गोमती नदी के जल संरक्षण के उपाय अपनाने चाहिए, जैसे कि जल संचयन के तंत्र, जल संचार के लिए स्थानीय विकल्पों का समर्थन, और जल की बर्बादी को रोकने के लिए जागरूकता का प्रसार. स्थानीय समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल करना और उन्हें नदी के संरक्षण में भागीदार बनाना चाहिए. सामुदायिक संगठनों के माध्यम से शिक्षा, संवेदनशीलता, और कार्रवाई को बढ़ावा देना चाहिए. गोमती नदी के संरक्षण के लिए संवेदनशीलता को बढ़ावा देना चाहिए. लोगों को नदी के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए और उन्हें संरक्षण के प्रति जागरूक भी करना चाहिए. इन सभी उपायों को मिलकर अपनाने की विशेष आवश्यकता है और इससे हम गोमती नदी के संरक्षण में सफलता प्राप्त कर सकते हैं तथा नदी के प्राकृतिक संतुलन को संरक्षित रख सकते हैं.
ये भी पढ़ें: जाने छोटे स्तर पर मछली पालन इन तीन विधियों को, मांग के अनुसार बड़ा कर सकते हैं बिजनेस
डॉ. नीलेश कुमार
1-आशीष साहू, 2-देवर्षि रंजन, 3-नीलेश कुमार
केरल मात्स्यिकी एवं महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय, कोच्चि, केरल 682506 भारत
मात्स्यिकी महाविद्यालय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, बिहार 843121 भारत
मात्स्यिकी महाविद्यालय, रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी, उत्तर प्रदेश 284003 भारत