Agriculture Technology for Flooded Areas मानसून का समय आते ही बाढ़ व भारी बारिश की भी परेशानियां सामने आने लगती हैं, जिसके कारण किसानों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
खेतों में अधिक पानी भर जाने के कारण किसान खेती अच्छे से नहीं कर पाते हैं और फिर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन ऐसी स्थिति में भी किसान अपने खेत में तीन पारंपरिक और आधुनिक विधियों को अपनाकर खेतों में हरियाली फैला सकते हैं और अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं. तो आइए इन तीन बेहतरीन तकनीक के बारे में विस्तार से जानते हैं कि कैसे किसान इनका इस्तेमाल अपने खेत में कर सकते हैं.
जीरो ट्रिलेज तकनीक (Zero tillage technology)
इस तकनीक की खेती को शून्य जुताई खेती भी कहा जाता है. इसके इस्तेमाल से किसान अपने खेत में बिना जुताई करे बुवाई कर सकते हैं. इस काम को करने के लिए किसानों को सीड़ ड्रिल मशीन (Seed Drill Machine) की मदद लेनी पड़ेगी, जिसकी सहायता से वह अपने खेत में चीरा लगाया जाता है और फिर उसमें ड्रिल की मदद से बीज गिराए जाते हैं. इस मशीन का उपयोग ज्यादातर जूट, गेहूं, चना, मटर और मसूर की खेती के लिए किया जाता है.
सीधी बिजाई तकनीक (Direct Sowing Method)
अगर आप भी अपने खेत में सीधी बिजाई करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले बीजों का उपचार करना चाहिए, जिससे फसल का अंकुरण बना रहे और पौधा का विकास अच्छे से हो सके. किसान भाई चाहते हैं, तो अपने खेत में फंगीसाइड या कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. ध्यान रहे कि खेत में धान की सीधी बिजाई बिना तकनीक के सहायता से नहीं की जा सकती है.
उटेरा तकनीक (Utera technology)
इस तकनीक का किसानों को बहुत फायदा होता है. इस विधि के द्वारा खेत में बुवाई उस समय की जाती हैं, जब खेत में पहली फसल खड़ी हो और उसमें कटाई से 2 पहले फसल के बीच में बीजों को डाला जाता है, ताकि किसान जब फसल की कटाई करें, तो बीज पैरों के नीचे दबकर मिट्टी में चले जाएं. देखा जाए तो यह विधि पारंपरिक विधि में से एक है. इसका इस्तेमाल किसान भाई पहले के समय में सबसे अधिक करते थे.
बाढ़ग्रस्त खेतों के लिए खास बातें
वह किसान भाई जिनके खेत बाढ़ व भारी बारिश से प्रभावित हैं, वह खेत में दूसरी फसलों को नहीं कर पाते हैं, लेकिन वे चाहें, तो अपने खेत में रबी की फसल अपने खेत में तैयारियां कर सकते हैं. इसके अलावा वह अगले सीजन में सहफसल की भी अच्छे से खेती कर सकते हैं.
खेतों में बाढ़ के पानी चले जाने से जमीन में 2 से 3 इंच नीचे तक कीचड़ अधिक जम जाती है, जिसके कारण खेत में माइक्रोब्स (Microbes in Agriculture land) की संख्या अधिक मात्रा में बढ़ जाती है और साथ ही इससे खेत की उर्वरता (Soil Health for Agriculture) भी अधिक बढ़ जाती है.