किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए सरकार कई अहम कदम उठाती रहती है. किसानों को हर तरह नुकसान से बचाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे है. इसी के चलते मिनिमम सपॉर्ट प्राइस यानि एम.एस.पी को लगातार बढ़ाया जा रहा है.
अगर 2019-20 की बात करें, तो गेहूं के लिए एमएसपी 1840 रुपये/क्विंटल है. इससे साफ होता है कि 2014-15 के मुकाबले इसमें 31.40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, तो वहीं इस साल धान का एमएसपी 1815 रुपये/क्विंटल है. इसमें 2014-15 के मुकाबले 33.50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
एमएसपी लगातार बढ़ रहा है
आपको बता दें कि किसान भाई बाजारों में अपनी फसल नहीं बेचना चाहते हैं, क्योंकि मिनिमम सपॉर्ट प्राइस मार्केट रेट से ज्यादा है, हालांकि सरकार किसानों को सपॉर्ट करने के लिए लगातार चावल और गेहूं की खरीदारी कर रही हैं. यही वजह है कि फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के गोदाम लबालब पूरी तरह से भर चुके हैं. इस वजह से आगे की खरीदारी के लिए उसे प्राइवेट बफर को किराए पर लेना होगा.
जरूरत से ज्यादा स्टॉक
बताया जा रहा है कि सरकार के पास 1 अप्रैल 2020 तक के लिए गेहूं का स्टॉक 31 मिलियन टन होगा, जबकि जरूरत केवल 13.8 मिलियन टन की है. उसी तरह चावल का स्टॉक 25.8 मिलियन टन होगा, जबकि जरूरत केवल 7.6 मिलियन टन का होगी. जानकारी के मुताबिक, हर कोई चावल-गेहूं बेच रहा है, जिससे खरीदने वालों की संख्या बहुत कम है. शायद यही वजह है कि हरियाणा में इस साल सरकार ने केवल 26 अक्टूबर के दिन खरीद की थी.
तिलहन और दलहन में हैं अपार संभावनाएं
इस परिस्थिति में किसानों को दाल और तिलहन की ज्यादा खेती करने को कहा जाता है, हालांकि भारत अभी भी दलहन और तिलहन की खरीदारी करता है, लेकिन सरकार को तिलहन, दलहन की खेती को ज्यादा सपॉर्ट करना चाहिए, ताकि किसानों का रुझान बदले. माना जाता है कि इस तहर किसानों के लिए कापी फायदा होगा. आपको बता दें कि सरकार ने तिलहन और दलहन के लिए भी एमएसपी का भी निर्धारण किया है. इस साल सरकार ने 3.78 मिलियन टन खरीदारी का लक्ष्य रखा था, लेकिन 1.8 मिलियन टन खरीदारी हो पाई है, जबकि पिछले साल सरकार ने 2.55 लाख टन खरीदारी की थी. कुल मिला कर माना जाए, तो सरकार के पास अब जगह नहीं है कि जहां वो स्टॉक रख सके.