आलू उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है. वहीं, आलू में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक होते हैं. वहीं, आलू की खेती भारत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आदि राज्यों में की जाती है.
इसके अलावा, आलू की खेती(Potato Cultivation) बिहार राज्य में बड़े पैमाने पर की जाती है. लेकिन आलू की उच्च गुणवत्ता गुण वाले बीज नहीं होने के कारण, बिहार के किसानों को आलू के बीज को अन्य राज्यों से मंगवाना पड़ता था. इसी बीच बिहार के आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी खबर है.
दरअसल, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agriculture University) ने आलू के एक नए किस्म (PotatoVariety) के बीज को विकसित किया है. जिससे किसानों को अधिक पैदावार के साथ – साथ अधिक मुनाफा भी मिलेगा. ऐसे में आइये जानते हैं खबर को विस्तार से-
आलू की नयी किस्म हुई विकसित (New variety of potato developed)
आपको बता दें कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agriculture University) कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर आलू के नए बीज उत्पादन की नई तकनीक पर शोध कर रहा है.
जिसमें आलू के मिनी टूबर बीज से 17 कुंतल जीवन सीड बनाया गया है, जिसका प्रयोग बिहार के नालंदा, पटना, शेखपुरा और लखीसराय राज्यों के खेतों में किया जायेगा.
आलू की इस किस्म की खासियत (Characteristics of This Variety of Potato)
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आलू की इस किस्म में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते है.
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यह अच्छी गुणवत्ता और रोग मुक्त किस्म है.
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इस किस्म से लागत कम होगी एवं अच्छी उपज होगी.
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इस किस्म में झुलसा रोग लगने का डर नही होगा.
इस किस्म से किसानों को होगा लाभ (Farmers Will Benefit From This Variety)
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इस किस्म से किसानों को अच्छे गुणवत्ता वाले और रोगमुक्त बीज मिलेंगे.
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इस किस्म से किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार मिलेगी.
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किसानों को अब बाहर राज्य से बाहर आलू के बीजों को खरीदने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
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किसान इस किस्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात कर सकेगा.
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इस किस्म से किसानों को अधिक लाभ होगा.
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