कृषि क्षेत्र में लगातार विस्तार हो रहा है, लेकिन कुछ किसान आज भी सिर्फ परंपरागत फसलों की ही खेती कर रहे हैं, इससे उनकी आय में भी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो रही, जबकि कई ऐसी फसलें भी हैं जिनकी खेती से किसान की आय दोगुनी हो सकती है इन्हीं फसलों में एक है जिमीकंद. जिसे भारत में सूरन और ओल के नाम से भी जाना जाता है. जिमीकंद औषधीय गुणों से भरपूर होता है. जिमीकंद की तासीर अधिक गर्म होती है. जिमीकंद में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, खनिज, कैल्शियम, फॉस्फोरस समेत कई तत्व पाए जाते हैं. इसका उपयोग बवासीर, पेचिश, दमा, फेफड़ों की सूजन, उबकाई और पेट दर्द जैसी बीमारियों में खूब होता है. आज के समय में जिमीकंद को व्यापारिक रूप में अधिक उगाया जा रहा है. किसान इसकी खेती से लाखों कमा रहे हैं आइये जानते हैं उन्नत खेती का सही तरीका
उपयुक्त जलवायु
मिट्टी का चयन
खेती की तैयारी
इसके लिए खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिए, ताकि खेत की मिट्टी में अच्छे से धूप लग सके. फिर बाद खेत में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद को डाल कर फिर से अच्छे से जुताई कर गोबर को मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद खेत में अंतिम जुताई के समय पोटाश 50 KG, 40 KG यूरिया और 150 KG डी.ए.पी. की मात्रा अच्छे से मिलाकर खेत में छिड़ककर फिर से दो तीन तिरछी जुताई कर देनी चाहिए, जिससे खाद अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाये. इसके बाद खेत में पानी लगा कर पलेव कर देना चाहिए. कुछ दिनों के बाद जब खेत की मिट्टी सूखी दिखे तब कल्टीवेटर लगा कर जुताई करवा दें. फिर बीज रोपाई के लिए नालियों को बनाकर तैयार कर लेना चाहिए.
बीज की रोपाई
जिमीकंद के बीजों को खेत में लगाने से पहले उपचारित करना चाहिए. बीजों के उपचारण के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या इमीसान की उचित मात्रा का घोल बना कर उसमे आधे घंटे के लिए इन बीजों को डूबा देना चाहिए. फिर बीजों को खेत में लगाना चाहिए. इसके एक बीज का वजन तक़रीबन 250 से 500 GM के बीच होता है, जिस वजह से प्रति हेक्टेयर के खेत में 50 क्विंटल बीज की जरुरत होती है. जिमीकंद के बीजों को तैयार की गई नालियों में लगाना चाहिए.
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जिमीकंद की सिंचाई
सूरन की फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है, इसलिए बीजों की रोपाई के बाद सिंचाई करना चाहिए, बीजों के अनुकरण तक खेत में नमी को बरक़रार रखने के लिए सप्ताह में दो बार सिंचाई करनी चाहिए. सर्दियों में पौधों को 15-20 दिन सिंचाई करनी होती है, वहीं बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करनी चाहिए.