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Updated on: 11 January, 2023 11:07 AM IST
जिमीकंद की खेती

कृषि क्षेत्र में लगातार विस्तार हो रहा हैलेकिन कुछ किसान आज भी सिर्फ परंपरागत फसलों की ही खेती कर रहे हैंइससे उनकी आय में भी ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो रहीजबकि कई ऐसी फसलें भी हैं जिनकी खेती से किसान की आय दोगुनी हो सकती है इन्हीं फसलों में एक है जिमीकंद. जिसे भारत में सूरन और ओल के नाम से भी जाना जाता है. जिमीकंद औषधीय गुणों से भरपूर होता है. जिमीकंद की तासीर अधिक गर्म होती है. जिमीकंद में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेटखनिजकैल्शियमफॉस्फोरस समेत कई तत्व पाए जाते हैं. इसका उपयोग बवासीरपेचिशदमाफेफड़ों की सूजनउबकाई और पेट दर्द जैसी बीमारियों में खूब होता है. आज के समय में जिमीकंद को व्यापारिक रूप में अधिक उगाया जा रहा है. किसान इसकी खेती से लाखों कमा रहे हैं आइये जानते हैं उन्नत खेती का सही तरीका 

उपयुक्त जलवायु 

जिमीकंद गर्म जलवायु का पौधा है. खेती के लिए 20-35 डिग्रीसेंटीग्रेड का तापमान काफी उपयुक्त होता है. बुवाई के समय बीजों को अंकुरण के लिए अधिक तापमान की जरूरत पड़ती है. यही कारण है कि बुवाई अप्रैल से मई के महीने में की जाती है जबकि पौधों की बढ़वार के दौरान अच्छी बारिश जरूरी है.  

मिट्टी का चयन

जिमीकंद के अधिक उत्पादन के लिए खेती भूरभुरी दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है. इसकी खेती जलजमाव वाले खेत में नहीं करना चाहिए. इसकी खेती के लिए 5.5 से 7.2 तक की पीएचमान वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होता है.

खेती की तैयारी

इसके लिए खेत की अच्छे से गहरी जुताई कर कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिएताकि खेत की मिट्टी में अच्छे से धूप लग सके. फिर बाद खेत में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद को डाल कर फिर से अच्छे से जुताई कर गोबर को मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद खेत में अंतिम जुताई के समय पोटाश 50 KG, 40 KG यूरिया और 150 KG डी.ए.पी. की मात्रा अच्छे से मिलाकर खेत में छिड़ककर फिर से दो तीन तिरछी जुताई कर देनी चाहिएजिससे खाद अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाये. इसके बाद खेत में पानी लगा कर पलेव कर देना चाहिए. कुछ दिनों के बाद जब खेत की मिट्टी सूखी दिखे तब कल्टीवेटर लगा कर जुताई करवा दें. फिर बीज रोपाई के लिए नालियों को बनाकर तैयार कर लेना चाहिए. 

बीज की रोपाई 

जिमीकंद के बीजों को खेत में लगाने से पहले उपचारित करना चाहिए. बीजों के उपचारण के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या इमीसान की उचित मात्रा का घोल बना कर उसमे आधे घंटे के लिए इन बीजों को डूबा देना चाहिए. फिर बीजों को खेत में लगाना चाहिए. इसके एक बीज का वजन तक़रीबन 250 से 500 GM के बीच होता हैजिस वजह से प्रति हेक्टेयर के खेत में 50 क्विंटल बीज की जरुरत होती है. जिमीकंद के बीजों को तैयार की गई नालियों में लगाना चाहिए.

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जिमीकंद की सिंचाई 

सूरन की फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती हैइसलिए बीजों की रोपाई के बाद सिंचाई करना चाहिएबीजों के अनुकरण तक खेत में नमी को बरक़रार रखने के लिए सप्ताह में दो बार सिंचाई करनी चाहिए. सर्दियों में पौधों को 15-20 दिन सिंचाई करनी होती हैवहीं बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करनी चाहिए.

English Summary: Farmers will get double the profit from the cultivation of Jimikand, if you do farming like this, you will get more yield!
Published on: 11 January 2023, 11:15 AM IST

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