देश में चावल के बाद गेहूं को सबसे अधिक खाया जाता है, जिसके चलते भारत में किसान गेहूं की खेती सबसे अधिक करते हैं. बता दें कि रबी सीजन में गेहूं की खेती की तैयारियां शुरू हो जाती है. देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिक हमेशा नई-नई किस्मों को तैयार करते रहते हैं, ताकि वह उन किस्मों को उगाकर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सके और बाजार में अच्छा डबल मुनाफा कमा सकें.
अगर आप भी रबी सीजन में गेहूं की खेती (wheat cultivation) से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है. दरअसल, आज हम आपको गेहूं की ऐसी 10 नई किस्मों के बारे में बताएंगे. जिससे आपको गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त होगी.
गेहूं की नई किस्मों की खासियत (Characteristics of new varieties of wheat)
आपको बता दें कि इन गेहूं की किस्मों को बीज निगमों के द्वारा तैयार किया गया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन किस्मों के बीजों में रोग व कीटों का प्रकोप बहुत कम होता है और साथ ही इनके लिए आपको अधिक पानी की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी. गेहूं की इन नई किस्मों में कई तरह के पोषक तत्व भी मौजूद है, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है. इसके अलावा इनमें किसी भी तरह के पेस्टिसाइड का छिड़काव करने की भी किसान भाइयों को जरूरत नहीं पड़ती है.
गेहूं की 10 नई किस्में (10 new varieties of wheat)
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GW 322
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पूसा तेजस 8759
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wheat GW 273
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श्री राम सुपर 111गेहूं
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HD 4728(Pusa Malawi)
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wheat HD 3298
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shree ram 303 wheat variety
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wheat JW 1142
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HI 8498
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JW 1201
गेहूं की GW 322 किस्म
गेहूं की यह किस्म वैसे तो गेहूं की किस्म यह किस्म देश के सभी राज्यों में उगाई जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश में सबसे अधिक उगाई जाती है, जो करीब-करीब 115 से 120 दिन में अच्छे से पककर तैयार हो जाती है. अगर हम इसके पैदावार की बात करें, तो यह 60 -62 क्विंटल तक पैदावार देती है.
पूसा तेजस 8759 किस्म
गेहूं की पूसा तेजस किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म को जबलपुर के कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया गया है. इसे किसान एक हेक्टेयर से लगभग 70 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
wheat GW 273 किस्म
गेहूं की यह किस्म 3-4 पानी की मात्रा में पक जाती है. इसे किसान सरलता से 60-65 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म की पूरी फसल लगभग 115-125 दिन में अच्छे से फल-फूल जाती है.
श्री राम सुपर 111 गेहूं
यह किस्म किसानों के लिए बेहद लाभकारी है. दरअसल यह किस्म बंजर जमीन पर भी उग जाती है. इसकी बंजर भूमि से किसान 30 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और वहीं अच्छी मिट्टी से 75-80 क्विंटल उत्पादन मिलता है. गेहूं कि यह किस्म 105 दिन में पक कर तैयार हो जाएगी.
HD 4728(Pusa Malawi) किस्म
गेहूं की HD 4728 किस्म खेत में 125-130 दिन में पक जाती है और फिर यह एक हेक्टेयर से 55-60 क्विंटल तक पैदावार देती है. इस किस्म को भारत के सभी राज्यों में उगाया जाता है. इसके लिए भी खेत में 3-4 पानी की मात्रा की आवश्यकता होती है.
wheat HD 3298
गेहूं की इस किस्म में आयरन व प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है. देखा जाए, तो इसमें आयरन 43.1 पीपीएम , प्रोटीन की मात्रा 12.2 प्रतिशत तक मौजूद है. यह किस्म 103 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म की पैदावार 43.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.
shriram 303 wheat variety
गेहूं की यह वैरायटी 156 दिनों में तैयार हो जाती है. इसका औसतन उत्पादन लगभग 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक किसानों को मिलता है. गेहूं की यह वैरायटी पीला, भूरा व काला रतुआ रोधी किस्म है, जिसे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है.
wheat JW 1142 किस्म
गेहूं की वैरायटी को भी देश के सभी राज्यों में बोया जाता है. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर से 55-60 क्विंटल तक है. देखा जाए, तो यह किस्म लगाने के 110-115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. ध्यान रहे कि बीज को बोते समय इसकी गहराई 2-3 सें.मी तक होनी चाहिए और कतार से कतार की दूरी 20 सेमी होनी चाहिए.
गेहूं की HI 8498 किस्म
इस किस्म को जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया गया है, जो किसानों के लिए बेहद लाभकारी है. इसकी वैरायटी से किसान प्रति हेक्टेयर 55-77 क्विंटल तक गेहूं का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. देखा जाए, तो गेहूं की यह किस्म 125-130 दिन में तैयार होकर किसानों को लाभ कमाकर देने लगती है.
गेहूं की JW 1201 किस्म
गेहूं की इस किस्म को भी जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय में तैयार किया गया है. अगर हम इसके उत्पादन क्षमता की बात करें, तो यह 55- 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देती है. इस किस्म और HI 8498 दोनों ही एक समय में पककर तैयार होती है.