गर्मी के मौसम में खीरा, तोरई, करेला, लौकी समेत कई अन्य सब्जियों की खेती की जाती है लेकिन बारिश होने से किसानों की फसल गलने लगती है. इस वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. आपने अक्सर देखा होगा कि बारिश के मौसम में सब्जियों की कीमतों में इजाफ़ा हो जाता है, लेकिन किसान इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं, क्योंकि बारिश की वजह से पौध गल भी जाती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिक किसानों को मचान विधि से खेती करने की सलाह देते हैं. उनका मानना है कि अगर किसान 1 एकड़ खेत में भी मचान विधि से सब्जियों की खेती करता है, तो वह 6 महीने लगभग 80 हजार से 1 लाख रुपए तक मुनाफ़ा कमा सकता है. मचान विधि किसान की आमदनी को दोगुना करने में सफल साबित हो सकती है. इसके साथ ही किसानों को खेती में नुकसान भी कम होगा.
मचान विधि क्या है?
इस विधि में तार का जाल बनाकर सब्जियों की बेल को जमीन से ऊपर तक पहुंचाया जाता है. इससे बेल वाली सब्जियों को आसानी से उगा सकते हैं. इसके साथ ही फसल को कई रोगों से बचाया जा सकता है. इससे फसल का ज्यादा उत्पादन प्राप्त होता है.
मचान बनाने के लिए उपयुक्त सामान
-
बांस के डंडे या बल्लियां
-
खूंटे
-
पॉलीमर तार
-
नायलॉन तार या मछली की डोर
-
कील
मचान बनाने की विधि
मचान को लोहे की एंगल या बांस के खंभे द्वारा बनाया जाता है, सबसे पहले खंभों के ऊपरी सिरे पर तार बांधा जाता है. इसके बाद पौधों को मचान पर चढ़ाया जाता है. ध्यान दें कि इनके बीच की दूरी लगभग 2 मीटर की रखें, ताकि फसल को सहारा मिल पाए. इनकी ऊंचाई फसल के अनुसार तय की जाती है. वैसे करेला और खीरा के लिए 4 फीट की उंचाई रख सकते हैं, लेकिन लौकी समेत अन्य फसलों के लिए लगभग 5 फीट की उंचाई रखी जाती है.
खेती करते समय यह रखें ध्यान
सबसे पहले गहरी जुताई कर खेत को समतल बना लें. इसके बाद लगभग 3 फीट की दूरी पर पौधे लगाएं. जब पौधे 3 से 4 फीट के हो जाएं, तब मचान पर इन पौधों को चढ़ा दें. इस तरह सब्जियों की फसल खराब नहीं हो पाती हैं. बता दें कि मचान विधि में सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है. इसके अलावा फलों की तुड़ाई भी आसानी से हो जाती है.
कीट और रोगों से बचाव
सब्जियों में कई प्रकार के कीट और रोग लग जाते हैं. इनमें लाल कीड़ा, फलमक्खी और डाउनी मिल्डयू मुख्य है. यह फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए सुबह के समय मैलाथियान नामक दवा का लगभग 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर पौधों और पौधों के आस-पास की मिट्टी पर छिड़क दें. इसके अलावा चैम्पा और फलमक्खी की रोकथाम के लिए एण्डोसल्फान 2 मिली लीटर दवा को पानी में घोलकर पौधों पर छिड़क दें. इस तरह सब्जियों की फसलों को कीट और रोगों से बचाया जा सकता है. इस विधि से खेती कर उपज और आमदनी, दोनों बढ़ाई जा सकती है.
मचान विधि से खेती करने का लाभ
-
फसल की बेल खुल कर फैल पाती है.
-
फसल को भरपूर धूप और हवा मिलती है.
-
खरपतवार और घास भी कम निकलती है.
-
मचान को 3 साल तक उपयोग कर सकते हैं.
-
कीट और रोग का खतरा कम हो जाता है.
-
फसल की देखभाल आसानी से हो जाती है.
-
एक समय में 2 से 3 सब्जियों की खेती कर सकते हैं.
ये खबर भी पढ़ें: बैंगन की इन उन्नत किस्मों से उपज में मिलेगी क्वॉलिटी, जानें इनकी विशेषताएं और पैदावार