कर्नाटक के बीदर तालुक के नागौरा गांव का किसान परिवार खेती में नवाचार का काफी ज्यादा लाभ उठा रहा है. यहां पर 33 वर्षीय राजकुमार रायगोंड एक कृषक परिवार से जुड़ा हुआ है. राजकुमार लाल और काले मिश्रित खेतों पर बहु फसली खेती की प्रथाओं मे कई तरह के नवाचार उसने अपनाए है.
सात एकड़ जमीन पर बहु फसल
कुल 12 एकड़ में से सात एकड़ भूमि पर बहु फसली बागवानी खेती के लिए तीन तरह की नई बोरवेल ड्रिल करवाकर उसने ड्रिप सिंचाई की है. इसके लिए तीन लाख रूपये सब्सिडी और बागवानी, तकनीशियनों से बागवानी फसलों हेतु उचित मार्गदर्शन प्राप्त किया. उन्होंने बागवानी विभाग द्वारा प्रदर्शन के लिए दिया हुआ प्रतिभा नस्ल की हल्दी बीज 2 एकड़ जमीन में लगाई है. छह साल से शेष 5 एकड़ में रेड लेडी पपीता, जी-9 केला, केरल नस्ल अदरक, संकर टमाटर और गुंटूर मिर्च उगा रहे है. साथ ही ऐसा करके वह काफी भारी मुनाफा कमा रहे है.
ड्रिप सिंचाई से फसलें जीवित
ड्रिप सिंचाई के सहारे हर तरह की फसलें जीवित है. यहां पर जैविक खेती के लिए दस भैंस, मुर्गी, कबूतर, भेड़ फार्म बागवानी के लिए जरूरत खाद उपलब्ध हो रहा है. अपनी फसलों पर कीट के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए राजकुमार जीवामृत लहसुन, मिर्च के काढ़े का उपयोग कर रहा है. वह अपनी जमीन पर उगी हुई 4 गर्त से प्रति वर्ष 20 टन वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग करने से सभी फसलें अच्छी तरह से फसल उग रही है. बागवानी फसलों की खरीद और संरक्षण के लिए पैकहाउस निर्माण के लिए दो लाख रूपये, पपीता के लिए 30 हजार लिए और केला फसल के प्रति 1 लाख रूपये सब्सिडी पाकर सभी फसलों को बड़े पैमाने पर उगाया है.
मिश्रित कृषि पद्धति को अपनाए
उनका पूरा परिवार किसानी और खेती करता है. जरूरत पड़ने पर मैं मजदूर लोगों की मदद लेता हूं. बीदर के ओरिएंटल बैंक से डेयरी के विकास के लिए उन्होंने 8 लाख रूपये का लोन लिया है. उनके फार्म से रोजाना 12 भैंस फार्म से 25 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है. बहु फसली खेती प्रथाओं ने पिछले 6 वर्षों से प्रति वर्ष 10 लाख रूपये मुनाफा आ रहा है. उनका कहना है कि किसानो को ज्यादा से ज्यादा कृषि की मिश्रित तकनीक को अपनाने का प्रयास करना चाहिए.