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Updated on: 16 October, 2024 12:44 PM IST
भिंडी की इन 4 उन्नत किस्मों की करें बुवाई (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Ladyfinger Improved Varieties: भारत के अधिकतर किसान पारंपरिक खेती से हटकर गैर-पारंपरिक खेती में हाथ अजमा रहे हैं और इसमें सफल भी हो रहे हैं. ज्यादातार किसान सब्जियों की खेती करके अच्छा खासी कमाई कर रहे हैं. रबी सीजन की शुरूआत हो चुकी है और देश भर में सब्जियों की बुवाई हो रही है. ऐसे में अगर आप भिंडी की खेती करना चाहते हैं तो इसकी कुछ खास उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं, जिनसे ज्यादा उत्पादन और बंपर मुनाफा आसानी से कमाया जा सकता है.

आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, भिंडी की 4 उन्नत किस्मों के बारें में जिनकी खेती से मालामाल बन सकते हैं किसान!

पूसा ए-4 किस्म

पूसा ए-4 किस्म, भिंडी की एक उन्नत किस्म है. इसे वर्ष 1995 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने विकसित किया था. भिंडी की यह किस्म पीतरोग यैलो वेन मोजैक वायरस रोधी है, जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों को बंपर उपज प्राप्त होती है. बुवाई के 15 दिनों के बाद ही इसकी फसल में फल आने शुरू हो जाते हैं और भिंडी की पहली तुड़ाई 45 दिनों के बाद शुरू हो जाती है. इस किस्म के फल मध्यम आकार के गहरे, कम लस वाले, 12 से 15 सेमी लंबे तथा आकर्षक होते है. यदि किसान इस किस्म की बुवाई एक हेक्टेयर में करते हैं, तो 15 टन से अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं.

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अर्का अनामिका किस्म

अर्का अनामिका किस्म भी भिंडी की उन्नत किस्मों में शामिल है, इसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बैंगलोर ने विकसित किया है. इस किस्म के पौधों की ऊंचाई लगभग 120 से 150 सेंटीमीटर तक रहती है. भिंडी की इस किस्म के पौधे में आने वाली भिंडी काफी मुलायम होती है और इस पर 5 से 6 धारियां होती है. इस भिंडी की तुड़ाई काफी आसानी से की जा सकती है, क्योंकि इसका डंठल लंबा होता है. भिंडी की अर्का अनामिका किस्म की खेती खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में की जा सकती है. साथ ही भिंडी की यह किस्म पीतरोग यैलो वेन मोजैक वायरस रोधी भी है. अगर किसान एक हेक्टेयर में भिंडी की इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो 12 से 15 टन तक उपज आसानी से प्राप्त कर सकते हैं.

हिसार उन्नत किस्म

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने किसानों के लिए कम समय में भिंडी की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए ‘हिसार उन्नत किस्म’ को विकसित किया है. इस किस्म के भिंडी के पौधे की ऊंचाई करीब 90 से 120 सेंटीमीटर तक रहती है. बुवाई के लगभग 46 से 47 दिनों के बाद ही भिंडी की पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है. किसान भिंडी की इस किस्म की बुवाई खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में कर सकते हैं, यह किस्म गर्म तापमान के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है. यदि किसान एक हेक्टेयर में भिंडी की इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो 13 टन तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

वीआरओ - 6 किस्म

भिंडी की वीआरओ -6 किस्म को किसानों के बीच काशी प्रगति के नाम से भी पहचाना जाता है. भिंडी की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने इसे किसानों के लिए विकसित किया है. इस किस्म के पौधे की लगभग ऊंचाई 170 से 175 सेंटीमीटर तक रहती है. इस किस्म की बुवाई भी खरीफ और रबी सीजन में की जा सकती है. यह किस्म पीतरोग यैलो वेन मोजैक वायरस रोधी है. अगर किसान एक हेक्टेयर में भिंडी की इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो 18 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.

English Summary: farmers sow these 4 improved varieties of ladyfinger in october get good production just 45 days
Published on: 16 October 2024, 12:47 PM IST

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