आधुनिक खेती करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बहुत ज़रूरी है कि वे किस महीने में कौन-सा कृषि कार्य करें क्योंकि मौसम में परिवर्तन आता रहता है और ये कृषि कार्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है.
ऐसे में देश में अलग-अलग फ़सली सीजन में अलग–अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सके. ऐसे में आइये जानते हैं कि जनवरी में किसान कौन-सा कृषि कार्य करें जिससे उनके फसल उत्पादन पर कोई प्रभाव न पड़े.
गेहूं (Wheat)
-
गेहूं में दूसरी सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद कल्ले निकलते समय और तीसरी सिंचाई बुवाई के 60-65 दिन बाद गांठ बनने की अवस्था पर करें.
-
गेहूं की फसल को चूहों से बचाने के लिए ज़िंक फॉस्फाइड से बने चारे अथवा एल्यूमिनियम फॉस्फाइड की टिकिया का उपयोग करें.
जौ (Barley)
-
जौ में दूसरी सिंचाई, बुवाई के 55-60 दिन बाद गांठ बनने की अवस्था पर करें.
चना (Gram)
-
फूल आने के पहले एक सिंचाई ज़रूर करें.
-
फसल में उकठा रोग की रोकथाम के लिए बुवाई से पूर्व ट्राइकोडर्मा 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर 60-75 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर भूमि शोधन करना चाहिए.
मटर (Peas)
-
मटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू), जिसमें पत्तियों, तनों तथा फलियों पर सफेद चूर्ण फैल जाता है, की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर घुलनशील गंधक 80%, 0 किग्रा 500-600 लीटर पानी में घोलकर 10-12 दिन के अंतराल पर छिड़कें.
राई-सरसों (Mustard Seeds)
-
राई-सरसों में दाना भरने की अवस्था में दूसरी सिंचाई करें.
-
माहू कीट पत्ती, तना और फली सहित सम्पूर्ण पौधे से रस चूसता है. इसके नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर डाइमेथोएट 30% ई.सी. की 1.0 लीटर मात्रा 650-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें.
शीतकालीन मक्का (Winter Maize)
-
खेत में दूसरी निराई-गुड़ाई, बुवाई के 40-45 दिन बाद करके खरपतवार निकाल दें.
-
मक्का में दूसरी सिंचाई बुवाई के 55-60 दिन बाद और तीसरी सिंचाई बुवाई के 75-80 दिन बाद करनी चाहिए.
शरदकालीन गन्ना (Autumm Sugarcane)
-
आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें.
-
गन्ना को तनाछेदक कीटों से बचाने के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा कार्बोफ्युरॉन 3% सी0 जी0 का उपयोग करें.
बरसीम (Barseem)
-
कटाई और सिंचाई 20-25 दिन के अन्तराल पर करें. प्रत्येक कटाई के बाद भी सिंचाई करें.
बागवानी कार्य (Gardening work)
सब्जियों की खेती (Vegetable Farming)
-
आलू, टमाटर तथा मिर्च में पछेती झुलसा से बचाव के लिए मैंकोजेब 75% डब्ल्यू. पी. की 2 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर 500-600 ली0 पानी में घोलकर छिड़कें.
-
मटर में फूल आते समय हल्की सिंचाई करें. आवश्यकतानुसार दूसरी सिंचाई फलियाँ बनते समय करनी चाहिए.
-
गोभी वर्गीय सब्जियों की फसल में सिंचाई, गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें.
-
टमाटर की ग्रीष्मकालीन फसल के लिए रोपाई कर दें.
-
जायद में मिर्च तथा भिंडी की फसल के लिए खेत की तैयारी अभी से शुरू कर दें.
फलों की बागवानी (Fruit horticulture)
-
बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई करें.
-
आम के नवरोपित एवं अमरूद, पपीता, लीची के बागों की सिंचाई करें.
-
आम के भुनगा कीट से बचाव के लिए मोनोक्रोटोफास 36% एस.एल.1.5 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.
-
आंवला के बाग में गुड़ाई करें एवं थाले बनायें.
पुष्प और सुगन्ध पौधे (Flowers and aromatic plants)
-
गुलाब में समय-समय पर सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करें तथा आवश्यकतानुसार बंडिंग और इसे जमीन में लगाने का कार्य कर लें.
-
मेंथा के सकर्स की रोपाई कर दें. एक हेक्टेयर के लिए 2.5 - 0 कुन्टल सकर्स आवश्यक होगा.