लहसुन (Garlic) एक मसाले वाली फसल है. इसका प्रयोग खाने में किया जाता है, साथ ही सेहत संबंधी कई तरह की समस्याओं को दूर करने में भी प्रयोग किया जाता है. भारत में लहसुन की खेती (Farming of Garlic) अधिकतर सभी राज्यों में होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में इसकी खेती मुख्य रूप से होती है. अगर किसान लहसुन की खेती से अधिक उपज प्राप्त करना चाहते हैं, तो आधुनिक किस्मों की बुवाई करके खेती करना चाहिए. आइए आज किसान भाईयों को लहसुन की खेती करने का तरीका और उसकी उन्नत किस्मों की जानकारी देते हैं.
उपयुक्त जलवायु
लहसुन की खेती के लिए मध्यम ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है.
उपयुक्त मिट्टी
इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी उचित रहती है, जिसमें जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक रहे.
खेत की तैयारी
किसान को खेत में सबसे पहले 3 गहरी जुताई करनी चाहिए. इसके बाद खेत को समतल बनाकर क्यारियां और सिचांई की नालियां बना लेनी चाहिए. बता दें कि लहसुन की अधिक उपज के लिए डेढ़ से दो क्विंटल स्वस्थ कलियां प्रति एकड़ लगती हैं.
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लहसुन की उन्नत किस्में
टाइप 56-4- लहसुन की इस किस्म का विकास पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की द्वारा किया गया है. इस किस्म के लहसुन की गांठे छोटी और सफेद होती हैं. हर गांठ में 25 से 34 पुत्तियां होती हैं. किसान इस किस्म की बुवाई करके प्रति हेक्टेयर 150 से 200 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं.
आईसी 49381- इस किस्म का विकास भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया है. यह किस्म 160 से 180 दिन में फसल तैयार कर देती है. इससे किसानों को काफी अच्छी उपज प्राप्त हो सकती है.
सोलन- लहसुन की यह किस्म हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है. इस किस्म में पौधों की पत्तियां काफी चौड़ी और लंबी होती हैं. इसका रंग गहरा होता है. हर गांठ में 4 पुत्तियां होती हैं, जो कि काफी मोटी होती हैं. यह अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक उपज देने की क्षमता रखती है.
एग्री फाउंड व्हाईट (41 जी)- यह किस्म लगभग 150 से 160 दिन में फसल को तैयार कर देती है. इससे किसानों प्रति हेक्टेयर 130 से 140 क्विंटल उपज प्राप्त हो सकती है. यह किस्म गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों के लिए विकसित की गई है. इस किस्म को अखिल भारतीय समन्वित सब्जी सुधार परियोजना के द्वारा संस्तुति की जा चुकी है.
यमुना (-1 जी) सफेद- देशभर में इस किस्म की बुवाई की जाती है. इस किस्म को अखिल भारतीय सब्जी सुधार परियोजना के द्वारा संस्तुति की जा चुकी है. यह 150 से 160 दिन फसल तैयार कर देती है. इससे प्रति हेक्टेयर 150 से 175 क्विंटल उपज मिल सकती है.
जी 282- इस किस्म के शल्क कंद सफेद होते हैं, जिनका आकार काफी बड़ा होता है. यह किस्म का कबड़ा140 से 150 दिन में फसल तैयार कर देती है. किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 175 से 200 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं.
आईसी 42891- लहसुन की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान और नई दिल्ली की द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म किसानों को कापी ज्यादा उपज दे सकती है. इस किस्म से फसल 160 से 180 दिन में तैयार हो जाती है.
ऐसे करें बुवाई
किसानों को लहसुन की अधिक उपज के लिए बुवाई डबलिंग विधि द्वारा करनी चाहिए. इसके साथ ही क्यारी में कतारों की दूरी 15 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए. इसके अलावा दो पौधों के बीच की दूरी 7.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. किसानों को बोने की गहराई 5 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए.
सिंचाई प्रबंधन
लहसुन की गांठों के अच्छे विकास के लिए 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए.
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