अगर आप भी सब्ज़ियों की बुवाई करने वाले हैं और चाहते हैं कि समय पर अच्छी पैदावार मिले, तो फसल चुनाव भी उसी के मुताबिक करें. हम आपको इसी सम्बन्ध में जानकारी देने वाले हैं कि किसान जुलाई में किन सब्जियों की खेती कर सकते हैं. जुलाई की बुवाई के लिए किसान अभी से ही तैयारी करना शुरू कर दें.
अगर सही समय पर सही फसल की बुवाई करेंगे, तो उन्हें उपज भी अच्छी मिलेगी. आने वाले सीजन में मांग के मुताबिक सही उत्पाद जब मार्केट में आएगा, तभी वह अन्नदाताओं के लिए मुनाफे का सौदा साबित होगा. सीजन की मांग के मुताबिक ही बिक्री भी बढ़ेगी और इस तरह वे अपनी अच्छी आय बना सकते हैं.
टिंडा (Apple Gourd)
इस समय यानी जून के महीने में किसान टिंडा की खेती कर सकते हैं या चाहें तो अगले महीने यानी जुलाई में भी यह खेती कर सकते हैं. इसकी खेती फरवरी से लेकर अप्रैल की शुरुआत तक भी की जाती है. इसके लिए जलधारण क्षमता वाली जीवांश युक्त दोमट भूमि उपयुक्त है. खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की जरूरत होती है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक किसान एक बीघा जमीन में लगभग डेढ़ किलो ग्राम बीज बो सकते हैं. किसानों को बुवाई के लगभग 30 से 35 दिन बाद नालियों और थालों की गुड़ाई करके मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए.
उन्नत किस्में - टिण्डा एस- 48, हिसार सलेक्शन- 1, बीकानेरी ग्रीन, अर्का टिण्डा.
फूलगोभी (Cauliflower)
फूलगोभी की खेती (cauliflower farming) एक ऐसी खेती है जिसे आमतौर पर सितंबर से लेकर अक्टूबर तक की जाती है लेकिन इसकी उन्नत किस्मों की वजह से किसान इससे सालभर कमाई कर सकते हैं. मौसम की मार से बचने के लिए अगर किसान अगेती खेती करते हैं, तो फायदे में रहते हैं. किसान गर्मियों में भी गोभी की खेती कर सकते हैं. आपको बता दें कि जिस भूमि का पीएच मान 5 से 7 के मध्य हो, वह भूमि फूलगोभी के लिए उपयुक्त मानी गई है. वहीं अगेती फसल के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी और पछेती के लिए दोमट या चिकनी मिट्टी उपयुक्त मानी गई है.
उन्नत किस्में - पूसा अगेती, पूसा स्नोबाल 25, पन्त गोभी- 2, पन्त गोभी- 3, पूसा कार्तिक, पूसा अर्ली सेन्थेटिक, पटना अगेती.
मूली (Radish)
देश में मूली की खेती ज्यादातर पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, असम, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में की जाती है. मूली की बुवाई करने के लिए ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है लेकिन किसान पूरे साल भी इसकी खेती कर सकते हैं. मूली का अच्छा उत्पादन लेने के लिए जीवांशयुक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. बुवाई के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 के करीब होना अच्छा होता है. मूली के लिए गहरी जुताई बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी जड़ें भूमि में गहरी जाती हैं.
उन्नत किस्में - जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफ़ेद.
प्याज (Onion)
लगभग 140 से 145 दिन में तैयार होने वाली प्याल की फसल वैसे तो ठण्डे मौसम की फसल है, लेकिन इसे खरीफ़ मौसम में भी उगाया जा सकता है. इसकी खेती के लिए उचित जलनिकास एवं जीवांशयुक्त उपजाऊ दोमट तथा बलुई दोमट भूमि जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच हो, उचित मानी गई है. किसान प्याज की नर्सरी तैयार करके इसकी खेती कर सकते हैं. खरीफ़ मौसम के लिए एक हेक्टेयर प्याज रोपने के लिए लगभग 10 से 15 किलो बीज की नर्सरी डालनी चाहिए.
उन्नत किस्में - एग्रीफाउंड लाइट रेड, एन-53, एग्रीफाउंड डार्करेड, भीमा सुदर, रेड (एल-652), अर्का कल्याण, अर्का प्रगति.
भिंडी (Lady Finger)
किसान भिंडी (okra) की बुवाई किसी भी मिट्टी में कर सकते हैं. खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर बुवाई करनी चाहिए. बुवाई कतार में करनी चाहिए. बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना बहुत ज़रूरी है.
उन्नत किस्में - हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच.
लौकी (Bottle gourd)
लौकी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिजलवण के अलावा पर्याप्त मात्रा में विटामिन पाए जाते हैं. इसकी खेती पहाड़ी इलाकों से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है. इसके सेवन से गर्मी दूर होती है और यह पेट सम्बन्धी रोगों को भी दूर भगाती है. इसकी खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है. सीधे खेत में बुवाई करने के लिए बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें. इससे बीजों की अंकुरण प्रक्रिया गतिशील हो जाती है. इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है.
उन्नत किस्में - पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश (गोल फल), पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईबिड 3, नरेंद्र रश्मि, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा, काशी बहार.
करेला (Bitter gourd)
करेला (bitter gourd) कई बिमारियों के लिए लाभदायक है, इसलिए इसकी मांग भी बाजार में ज़्यादा रहती है. गर्मियों में तैयार होने वाली इसकी फसल बहुउपयोगी है. किसान इससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं. करेले की फसल को पूरे भारत में कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है. वैसे इसकी अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए अच्छे जल निकास युक्त जीवांश वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.
उन्नत किस्में- पूसा हाइब्रिड 1,2, पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष, कल्याणपुर, प्रिया को- 1, एस डी यू- 1, कोइम्बटूर लांग, कल्यानपुर सोना, बारहमासी करेला, पंजाब करेला- 1, पंजाब- 14, सोलन हरा, सोलन, बारहमासी.