गन्ना उत्पादन करने वाले किसानों को पिछले कुछ सालों से रेड रॉट एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इस रोग की वजह से गन्ने की फसल को काफी नुकसान पहुँच रहा था. दरअसल, लाल सड़न नाम के इस रोग के करना जहां गन्ने का उत्पादन कम होता जा रहा है वहीं किसानों को आर्थिक रूप से भी नुकसान हो रहा है. यही वजह है कि लाल सड़न प्रतिरोधक गन्ने की नई किस्म वैज्ञानिकों ने तैयार की है. तो आइए जानते हैं गन्ने की इस नई किस्म के बारे में -
गन्ने की दो नई किस्में -
उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान और शाहजहांपुर स्थित उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने गन्ने की इन दोनों किस्मों को जारी किया है-
1. सीओएलके-14201- यह किस्म जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. यूपी गन्ना शोध परिषद के डायरेक्टर डॉ. ज्योत्सेंद्र का कहना है कि यह किस्म गन्ने की प्रचलित किस्म को-0238 की उन्नत किस्म है जिसकी उपज क्षमता गजब की है. वहीं परता भी मिला हुआ है. जहां गन्ने की को-0238 किस्म में लाल सड़न रोग प्रॉब्लम लगातार बढ़ रही है, वहीं नई ईजात की गई किस्म में इस रोग के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता अधिक है. इस वजह से किसानों को लाल सड़न रोग से अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. वहीं इसकी पैदावार भी अधिक होगी. गन्ने की इस किस्म से परीक्षण में प्रति हेक्टेयर 900 से 1000 क्विंटल की उपज हुई है. वहीं किस्म पौधों को बांधने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि इनके सीधा खड़ा रहने की क्षमता अधिक है. इस किस्म से बना गुड़ सुनहरे रंग का होगा जो कि गुणवत्ता पर भी खरा उतरेगा. वहीं ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों के लिए यह वरदान क्योंकि जैविक रूप से भी इसका उत्पादन अच्छा होगा.
2. सीओएस-14233-यह गन्ने की सामान्य किस्म है. इसमें भी लाल सड़न रोग से लड़ने की क्षमता अधिक है. वहीं इस किस्म की भी उत्पादन क्षमता अच्छी है.
अगले साल कर सकेंगे बुवाई
किसान गन्ने की इन नई और उन्नत किस्मों की बुवाई अगले साल आसानी कर सकेंगे. डॉ. सिंह का कहना है अगले साल इन किस्मों का बीज किसानों को आसानी से प्राप्त हो सकेगा. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य में को-0238 किस्म का रकबा काफी बड़ा है. इसलिए बीज की पूर्ति करना आसान नहीं होगा. इसलिए अगले साल चयनित किसानों को चीनी मिलों के जरिये यह किस्म मुहैया कराई जाएगी. इसके अलावा गन्ने की 4 अन्य किस्में उत्तरी राज्यों के लिए तैयार की गई जो इस प्रकार है-सीओएलके-14204, को-15023, को पीबी-14185 और कोएसई -11453, वहीं दक्षिणी भारत के राज्यों के लिए तीन किस्में एमएस -13081, वीएसआई-12121 और को-13013 तैयार की गई है.