नकदी फसलों में शुमार हो रहे सेब को आर्थिक का मुख्य जरिया बनाने की दिशा में सरकार के द्वारा कई तरह के कदमों को उठाया जा रहा है. दरअसल उत्तराखंड की सरकार मिशन एप्पल के तहत प्रदेश में सेब के उत्पादन के लिए स्पर प्रजाति को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए रूट स्टॉक पर ग्राफ्टिंग के जरिये इनकी पौध को तैयार कर किसानों को वितरित की जाएगी. बता दें कि स्पर प्रजाति कम समय में ज्यादा उत्पादन देती है. साथ ही इसके पेड़ छोटे होने के कारण इनके कुप्रंबधन में अधिक सहूलियत रहती है.
नगदी फसलों में शुमार सेब
आज प्रदेश में वर्तमान में करीब 26 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती करने का कार्य किया जाता है. साथ ही उत्तरकाशी समेत अन्य पर्वतीय जिलों में यह नगदी फसलों में शुमार होता है. बावजूद इसके सेब को वह काफी तवज्जों अब तक नहीं मिल पाई, जिसकी दरकार है. वह भी तब जबकि पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश ने सेब के जरिये तरक्की की इबारत लिख रही है. हालांकि आज यहां की सरकार का ध्यान इस तरफ गया है और मिशन एप्पल के अंतर्गत सेब की अधिक उत्पादन देने वाली स्पर प्रजातिय़ों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया है.
सेब की तीन खास प्रजाति
यहां पर सेब की तीन रूट स्टॉक प्रजाति मालिन, इमला और जिनेवा को लाने का निश्चय किया गया है. बता कि यह रूट स्टॉक वायरस और डिजीज फ्री है. इन सभी रूट स्टॉक के तैयार होने पर इनमें सेब की स्पर प्रजाति की नई वैरायटियों की ग्राफ्टिंग करके पौध को तैयार किया जाएगा. फिर इनको चाय हजार फीट से ऊपर के क्षेत्रों में रोपण के लिए दिया जाएगा
स्पर प्रजाति है फायदेंमद
सेब की नई स्पर प्रजाति आम सेब के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है. सबसे पहली बात तो यह है कि ये तीन साल में ही फल देने लगती है और इसके फल का आकार भी समान ही होता है. पेड़ के छोटे होने के चलते इनके प्रबंधन में आसानी होती है. सेब की यह प्रजाति आसानी से हर साल फल देती है, इससे आने वाले समय में राज्य में सेब उत्पादन को बढ़ाने में काफी ज्यादा मदद मिलेगी.