Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 16 August, 2020 3:56 PM IST

देश में कई तरह के क्षेत्र हैं, जहां किसान स्थानीय जलवायु के अनुसार खेती करते हैं. इसमें कम सिंचाई वाले क्षेत्र भी शामिल हैं. अब सवाल उठता है कि कम सिंचाई वाले क्षेत्र में किसान किस फसल की खेती कर सकते हैं. अगर आप भी कम सिंचाई वाले क्षेत्र में किसानी करते हैं और किसी फसल की बुवाई करना चाहते हैं, तो बाजरा की खेती (Millet cultivation) उपयुक्त रहेगी. बाजरा का स्थान गेहूं, धान और मक्का के बाद आता है. यह फसल कम वर्षा वाले स्थानों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. बाजरा पशुओं का महत्वपूर्ण चारा है, इसलिए इसको देश में 11.33 मिलियन हेक्टेयर में उगाया जाता है। हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. यूपी में भी इसकी खेती धीरे-धीरे इसकी खेती कम को गई थी, जो अब बढ़ रही है.

उपयुक्त जलवायु व मिट्टी

इसकी खेती गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में की जा सकती है. जहां 400 से 650 मिमी. वर्षा होती है. इस फसल को सभी प्रकार की भूमि पर उगाया जा सकता है, लेकिन जल जमाव की संवेदनशीलता के कारण बलुई, दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. इसमें जल निकास अच्छा होता है. इसके परागण के समय बारिश होने पर पराग के धुलने और उत्पादन में कमी आने की संभावना रहती है. बाजरा के विकास के लिए 20 से 30 सेंटीग्रेट तापक्रम सर्वाधिक उचित है. यह अम्लीय मिट्टी के प्रति संवेदनशील होती है.

ये खबर भी पढ़े: आलू  की नवीनतम और उन्नत किस्मों की जानकारी, कम अवधि में पाएं ज्यादा उपज

खेत की तैयारी

सबसे पहले एक गहरी जुताई करनी चाहिए. इसके बाद 2 हल्की जुताई और पाटा लगाना चाहिए है. अच्छे अंकुरण के लिए खेतों में ढेला नहीं रहना चाहिए. इसके साथ ही खेत को समतल बना लें. खेत में जल निकासी बाधित न हो. अगर संभव हो, तो खेत की तैयारी के पहले दो ट्रैक्टर सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ डालना चाहिए.

फसल की बुवाई

पौधे से पौधे की दूरी 12 से 15 सेंटीमीटर की होनी चाहिए, तो वहीं कतार से कतार की दूरी 45 से 50 सेमी. होना चाहिए.

ये खबर भी पढ़े: कीड़ा जड़ी की कीमत 20 से 25 लाख रुपए प्रति किलो, जानें इसकी खेती, पहचान, गुण और खाने का तरीका

English Summary: Farmers cultivate bajra in low irrigated area
Published on: 16 August 2020, 04:02 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now