Jackfruit Farming: भारत के ज्यादातर किसान पंरपारिक खेती से हटकर गैर-परंपारिक खेती करना पंसद कर रहे हैं और इसमें सफल होकर काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं. देश के किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए सब्जियों की खेती करना पसंद करते हैं. इनमें कटहल की खेती भी शामिल है, किसान इसकी खेती करके कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं. कटहल एक सदाबहार उगाने वाले पौधे में उगती है. इसमें कई प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं. केरल और तमिलनाडू में अधिकतर कटहल की खेती की जाती है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें कटहल की खेती कैसे की जाती है और इसके लिए उपयुक्त जलवायू और मिट्टी कौन-सी है?
कटहल की खेती
कटहल के पेड़ की लंबाई 8 से 15 मीटर तक रहती है और इसके पेड़ में फल लगना बसंत ऋतू से शुरू हो जाता है और इससे वर्षा ऋतू तक फल प्राप्त होता है. इसका पेड़ छोटा और मध्यम आकार में होता है और काफी फैलावदार होता है. कटहल को सब्जी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, इसके पेड़ से किसान सालभर में 80 से 90 फल प्राप्त कर लेते हैं. इसके पेड़ से मिलने वाले फल का रंग गहरा हरा होता है और इसका आकार गोल होता है. कटहल के बीज वाला भाग मुलायम होने की वजह से इसके फल को पकने में ज्यादा समय लगता है.
ये भी पढ़ें: केले के छिलके से घर में बनाए नेचुरल खाद, ग्रोथ और फ्रूटिंग के लिए है फायदेमंद
उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
किसान कटहल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए बलुई और दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. यह एक उष्णकटिबंधीय फल है, क्योंकि इसका उत्पादन नम और शुष्क दोनों मौसमों में किया जा सकता है. कटहल की खेती करने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. इसकी फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, अधिक सिंचाई से इसकी फसल नष्ट भी हो सकती है. इसकी जड़े पानी को सोख नहीं पाती है इसलिए किसानों को इसके खेत में सही जल निकासी का प्रबंध करना होता है.
कटहल की उन्नत किस्में
- रसदार
- खजवा
- सिंगापुरी
- गुलाबी
- रुद्राक्षी
कैसे लगाए कटहल का पौधा?
इसका पौधा लगाने से पहले आपको पके हुए कटहल में से बीजो को निकाल लेंना है. इसकी बुवाई के लिए उपजाऊ मिट्टी का चयन करना है. बुवाई से पहले मिट्टी में जैविक खाद और अन्य उर्वरक खाद को अच्छे से मिला लेंना है, जिससे इसकी खेती सही तरीके से की जा सकती है. बुवाई करने के तुंरत बाद पानी का छिड़काव करना होता है. इसके पौधे की बुवाई करने के बाद 1 साल तक पौधे की देखभाल करनी होती है.
खाद और उर्वरक
कटहल के पेड़ से प्रत्येक वर्ष फल प्राप्त होता है. इसलिए इसके पेड़ की अच्छी उर्वरकता और उत्पादकता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर खाद का उपयोग करना होता है. किसान इसके खेत में गोबर की खाद, यूरिया,पोटास और फास्फोरस जैसी खादों को डाल सकते हैं. इसके पौधा का आकार बढ़ने पर आपको इसकी खाद में भी वृद्धि करनी होती है. इसके पेड़ में खाद डालने के लिए एक गड्डा बना जाता है, जिसमें खाद को डाला जाता है.
कीट और रोग
कटहल की फसल में कीट और रोग लगने का मुख्य कारण है, समय पर खाद न डालना और कम सिंचाई होना होता है. इसके अलावा कटहल के खेत में नमी होना भी रोग लगने का प्रमुख कारण हो सकता है. कई बार इसकी फसल में ज्यादा सिंचाई कर देना और अधिक वर्षा से भी खेत में नमी आने लगती है, जिससे फसल की उत्पादकता पर असर पड़ता है.