Mandi Bhav: हल्दी की कीमत में जबरदस्त उछाल, 20 हजार के पार पहुंचा भाव, जानें देशभर की मंडियों का हाल LPG Price Cut: महंगाई से बड़ी राहत!घट गए एलपीजी सिलेंडर के दाम, जानें नए रेट Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये 2 छोटे बिजनेस, सरकार से मिलेगा लोन और सब्सिडी की सुविधा Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये बिजनेस, हर महीने होगी मोटी कमाई! एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 1 August, 2019 4:38 PM IST

परंपरागत खेती में लगातार हो रहे घाटे से परेशान होकर गांव दहमान के किसानों के द्वारा बागवानी और नर्सरी करने के बाद से उनके जीवन में काफी बदलाव आए है. किसान फूल सिंह दहिया ने परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी और नर्सरी को बढ़ावा दिया तो काफी लोगों को रोजगार तो मिला साथ ही किसान प्रतिवर्ष खर्चा को निकाल कर 10 लाख रूपए की मदद कर रहा है. यहां पर दहमान के किसान फूल कुमार दहिया के पास कृषि योग्य कुल 12 एकड़ ही जमीन है. जिसमें वह नरमा, धान, इत्यादि की फसल ले लेता था. किसान ने अपने बाग में आडू शान -ए-पंजाब, अलु बुखारा सतलुज परपल की किस्मों को लगाया है. इसके अतिरिक्त हिसार सफेदा अमरूद, पेमली बेर के बाग आदि के साथ-साथ पौने एकड़ में नर्सरी का फार्म भी बना लिया है.

15 लोगों को रोजगार

किसान ने बताया कि नर्सरी फार्म में 15 लोगों को स्थाई रोजगार भी मिला हुआ है. जबकि 70 से ज्यादा लोगों को बाग में फल को तोड़ने और बेचने और मंडियों तक में पहुंचाने का काम किया है. बाग और नर्सरी के कर्मचारियों का वेतन और खर्चे को निकाल कर के प्रतिवर्ष 10 लाख रूपए का मुनाफा हो रहा है. किसान बताता है किवह पूरे दिन ही नर्सरी फार्म में बैठकर विभिन्न प्रकार के पौधे तैयार करवाता है.

सफेद कलमी पौधों की डिमांड बढ़ी

किसान फूल कुमार दहिया ने बताया कि पिछले 12 वर्षों से वह अपने परिवार के लिए खाने के लिए गेंहू और चावल बाजार से खरीद सकते है. जबकि अपनी 12 एकड़ भूमि में वह गेंहू और चावल की पैदावर नहीं लेते है. वह परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी के प्रति रूझान करने के बाद हुए फायदे से दहमान के कई किसान में भी परिवर्तन हुआ है. अब इसमें चार तरह के नर्सरी फार्म भी खुल चुके है.

किसानों के जीवन में परिवर्तन

किसान पिछले कई दिनों से राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से बाग पंजीकरण चलवाने को लेकर काफी प्रयास चल रहा था जिसको मान्यता मिल गई है. किसान ने बताया कि हरियाणा, पंजाब में सफेदा कलमी पौधों की जरूरत से ज्यादा डिमांड बढ़ गई है. किसानों के पास अमरूद का मदर प्लांट है और वह मदर पौधों को कलम को बनाकर हिसार सफेदा अमरूद तैयार होता है. परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी के प्रति रूझान करने के बाद हुए फायदे से कई किसानों के जीवन में परिवर्तन आया है.

English Summary: Farmers are earning huge profits with the help of horticulture and nursery
Published on: 01 August 2019, 04:45 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now