बाजार में लगातार बढ़ती महंगाई के कारण देश के किसान भाइयों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में उनके समक्ष एक और नई परेशानी आई है जो है रासायनिक खाद व कीटनाशक इनके उपयोग से खेत की उत्पादकता कम होती जा रही है और साथ ही इससे किसानों व आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर देखने को मिल रहा है.
इन सब दिक्कतों को देखते हुए नारायणबगड़ की किसान महिलाएं (farmer women) खेती के नए-नए तकनीक को लेकर सामने आ रही हैं. इन्हीं में से एक जीरो बजट फार्मिंग है, जिससे किसान महिलाएं अपने खेत व घर में खाद को तैयार कर रही हैं.
बाजारी खाद से होती हैं कई बीमारियां (Many diseases caused by market fertilizer)
गांव की महिलाओं के मुताबिक, बाजार से लाए गए खाद का उपयोग खेत में करने से उन्हें कई तरह की परेशानियां होना शुरू हो गई थी. क्योंकि खाद में अधिक मात्रा में केमिकल्स मिले होने के कारण सांस लेने में तकलीफ, सर दर्द, सर्दी जुकाम, अस्थमा और अन्य कई हानिकारक बीमारियों के शिकार बनते जा रहे थे. यह बीमारियां केवल महिलाएं को ही नहीं पुरुषों में भी देखने को मिल रही थी. इन सब के चलते महिलाओं ने खुद अपनी फसल के लिए खाद को तैयार करना शुरू कर दिया, जो पूरी तरह से यानि 100 प्रतिशत होममेड खाद है. इसके खेत में इस्तेमाल करने से यह सब परेशानियां नहीं होती हैं.
ऐसे तैयार की खाद (ready-made compost)
इस होममेड खाद को खुद महिलाओं ने तैयार किया है, इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया गया है. इसमें केवल गाय का गोबर, गौमूत्र, गुड़ और मिट्टी का अच्छे से घोल तैयार किया जाता है. अंत में इसे खेत में डाल दिया जाता है. इसके इस्तेमाल से खेत की फसल को पौष्टिक तत्व प्राप्त होता है.
किसानों का कहना है कि पहले जो पैसा बाजार से खाद खरीदने में लगता था, उसकी दर अब बेहद कम हो चुकी है. यह सब गांव कि किसान महिलाओं के हुनर से मुमकिन हुआ है.
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इस खाद की शुरुआत पहले गांव के लगभग 200 किसानों के साथ की गई और अब वह चाहते हैं कि इस जीरो बजट फार्मिंग का अपने खेत में उपयोग करें और जितना हो सके केमिकल वाले खाद (chemical fertilizers) से किसान भाई बचें.