खेतीबाड़ी में गोबर को काफी उपयोगी माना जाता है. यह खेतों में खाद का काम करता है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के बिजनौर में किसानों के खेतों में ताजा गोबर खाद का काम करेगा, क्योंकि एक किसान ने गोबर से खाद बनाने की मशीन लगाई है. इस मशीन के जरिए किसानों को ताजा गोबर से बनी खाद उपलब्ध हो सकेगी. इस तरह किसानों को जैविक खेती करने के लिए भी बढ़ावा मिलेगा. आपको बता दें कि खेतों में ताजा गोबर डालने से दीमक लगने का खतरा कम हो जाता है. इस खाद में जमीन और फसल की जरूरत के हिसाब से पोषक तत्वों वाले जीवाणु मिलाए जाते हैं. यह मशीन बिजनौर के सिकंदरी गांव में रहने वाले किसान राजीव सिंह ने लगाई है. इससे किसान गोबर के खाद की जरूरत को तुरंत पूरा कर सकते हैं.
बढ़ेगी खेत की उर्वरा शक्ति
रासायनिक खाद के प्रयोग से खेतों की उर्वरा शक्ति घट जाती है, लेकिन गोबर की खाद जमीन की उर्वरा शक्ति को बनाए रखती है. गोबर से बनी खाद किसानों के खेतों के लिए अच्छी मानी जाती है, लेकिन यह हर समय किसान के पास उपलब्ध नहीं होती है, क्योंकि गोबर से खाद बनने में लगभग 3 से 6 माह का समय लगता है. अगर खाद तैयार न हो, तो किसान कच्चा गोबर ही खेत में डाल देता है. इससे खाद का पूरा लाभ खेत को नहीं मिल पाता है. इसके साथ ही कच्चा खाद दीमक की खुराक भी होता है. इससे खेत में दीमक लगने का डर बना रहता है, जो कि फसलों के लिए काफी नुकसानदायक है. ऐसे में किसान ने इस मशीन को बनाकर एक बड़ी समस्या का हल कर दिया है.
कुछ ही घंटों में बनेगी खाद
यह मशीन कुछ ही घंटों में ही गोबर से खाद बना देगी. इससे किसान जैविक खेती कर पाएंगे और अपने खेतों में तुरंत ही ताजा खाद मिला पाएंगे. बता दें कि इस खाद में जरूरत या फसल की प्रकृति के हिसाब से जीवाणुओं से पोषक तत्व बनाए जाते हैं.
ऐसे काम करती है मशीन
किसान का कहना है कि सबसे पहले गोबर को गड्ढ़े में डालकर उसमें जीवाणु वाला पानी मिलाया जाता है. इससे फास्फोरस और नाइट्रोजन समेत अन्य तत्व की पूर्ति हो जाती है. अगर खेत में दीमक है, तो इसकी रोकथाम के लिए मेटाराइजियम मिलाया जाता है. इस तैयार घोल को मशीन के अंदर डाला जाता है. अगर मशीन में 10 क्विंटल गोबर डाला जाए, तो इससे 3 क्विंटल खाद प्राप्त हो सकता है. शेष 70 प्रतिशत जीवामृत/पानी मिलेगा. यह पानी सभी पोषक तत्वों से युक्त होता है, जिसे खेत में डाला जाता है.
एक बीघा में पड़ेगा केवल 40 किलो खाद
जानकारी के लिए बता दें कि बिना कार्बन के कोई भी खाद असर नहीं करता है और गोबर से बनी खाद में कार्बन मिलता है. सामान्य तौर पर 3 से 4 महीने पुरानी कूड़ी में कार्बन कम होता है. ऐसा खाद प्रति बीघा जमीन में 50 से 60 क्विंटल डालना होता है. इसके अलावा केंचुए से बना खाद एक बीघा जमीन में मात्र 6 क्विंटल ही डालना होता है. मगर इस मशीन से बनी खाद को मात्र 40 किलो प्रति बीघा ही डालना होता है.
किसानों की आमदनी में होगा इजाफ़ा
इस मशीन के जरिए किसानों को जैविक खेती से जुड़ने का मौका मिल रहा है. इसके साथ ही खेत के सभी पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा किया जा सकता है. इस तरह खेती की लागत में कमी आएगी, साथ ही किसानों की आमदनी में इजाफ़ा होगा.