मध्य प्रदेश के भिंड के पटेरा के बिलाखुर्द गांव में एक किसान ने परंपरागत खेती छोड़कर हल्दी की खेती में भाग्य को अजमाया . इस किसान ने पहले आधा एकड़ में, फिर एक और अब तीन एकड़ में हल्दी की फसल लगाई है. साथ ही किसान को हल्दी की बंपर पैदावार मिली .केवल इतना ही नहीं किसान ने अपने आसपास के 20 किसानों को हल्दी का बीज देकर उन्हें भी इसकी खेती के लिए प्रेरित किया. किसानों को अपनी पैदावार के बाद उत्पादन बेचने में कोई परेशानी न आए. इसके लिए जागरूक किसान ने 5 लाख रूपए की प्रोसेसिंग यूनिट को खरीद लिया है.
किसानों को उपलब्ध करवाए हल्दी के बीज
खास बात यह है कि बुदेंलखंड में अभी तक हल्दी को लेकर किसी भी तरह का कोई प्रयोग नहीं हुआ है. किसान देवेंद्र कुसमारिया ऐसे पहले किसान है जिन्होंने बुदेंलखंड में पहली हल्दी की खेती करने पर करने का दांव चला है. देवेंद्र आज से तीन साल पहले महाराष्ट्र के जलगांव के राबेर घूमने गए थे. वहां पर उन्होंने हाईटैक हल्दी की खेती को देखा और वहां से कुछ मात्रा में हल्दी के बीज को एकत्र कर लिया. उन्होंने वापस आकर बीज अपने खेत में लगाया तो हल्दी के बेहतर परिणाम मिलने लगे है. उन्होंने फिर से वही बीज लगाया तो एक एकड़ में हल्दी की अच्छी खासी मात्रा तैयार हो गई थी. उन्होंने हल्दी की मात्रा को बढ़ाकर उसे तीन एकड़ में लगाया है. साथ ही 20 किसानों को प्रयोग करने के लिए हल्दी का बीज भी उपलब्ध करवाया है. उनका कहना है कि उन्होंने हल्दी का बीज देखा और उन्होंने कहा कि इस प्रयोग के अच्छे परिणाम सामने आए हैं. जिसके बाद उन्होंने किसानों को समृद्ध करने के लिए जिले में हल्दी की खेती को बढ़ावा देने का कार्य किया है.
जैविक पद्धति से हल्दी लगाई
इस इलाके में सभी किसानों के लिए हल्दी काफी ज्यादा मुनाफे का धंधा बन रही है जिससे किसानों को काफी ज्यादा फायदा हो रहा है. एक एकड़ में उन्होंने 80 से 100 क्विंटल तक हल्दी का औसत उत्पादन किया है. उन्होंने जैविक पद्धति से लगाई गई जो कि 6 से 10 गुना अधिक उत्पादित होती है. जबकि रासायनिक खाद के प्रयोग से इसका उत्पादन 15 गुना होगा. हल्दी की फसल में न रोग लगेगा और न ही इसे जंगली जानवरों से नुकसान होगा. यह आठ महीने वाली फसल को किसान बारिश और गर्मी से पहले निकाल लेंगे.