खेती को लाभ का धंधा तभी बनाया जा सकता है जब पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक और वैज्ञानिक खेती को अपनाया जाएगा. मध्य प्रदेश के भोपाल शहर से 80 किलोमीटर दूर वर्धा गांव के एक किसान ने इसी फार्मूले को अपनाकर खेती को अच्छी कमाई का जरिया बना लिया है. यही वजह है कि जहां पहले वे खेती से लागत भी नहीं निकाल पाते थे वहीं अब वे लाखों रूपये कमा रहे हैं. यह प्रोग्रेसिव किसान है वर्धा गांव के भगवत सिंह कुशवाह. तो आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.
गेहूं छोड़ स्टीविया की खेती
देश के दूसरे किसानों की तरह भगवत सिंह भी गेहूं और अन्य पारंपरिक फसलों की खेती करते थे. गेहूं कि फसल से उन्हें सिर्फ खेती की लागत और अन्य छोटी मोटी जरूरत ही पूरी होती थी. यही वजह है कि उन्होंने स्टीविया यानि मीठी तुलसी की खेती शुरू की. जिससे आज वे लाखों रूपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं. एक समय भगवत सिंह भी एक साधारण किसान थे लेकिन आज वे अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं.
1 लाख 80 हजार एडवांस मिला
भगवत सिंह का कहना है उन्होंने साल 2017 में सबसे पहले मीठी तुलसी की खेती शुरू की. पहले साल उन्हें स्टीविया लगाने में करीब 80 हजार रूपये का खर्च आया. लेकिन सबसे बड़ी परेशानी उस समय आई जब अपनी उपज को लेकर मंडी पहुंचे. उनका कहना है कि नई तरह कि फसल को देखकर कोई भी खरीददार नहीं मिला. वे अपनी फसल बिना बेचे ही वापस घर आ गए. इसके बाद उन्होंने यूट्यूब पर अपनी फसल को वीडियो डाला. इसके बाद उन्हें कई खरीददार मिल गए. जहां 2018 में उन्हें 1 लाख 50 हजार रूपये का मुनाफा हुआ वहीं साल 2019 में दो लाख का लाभ मिला. जबकि 2020 में उनकी फसल से उन्हें एक लाख 80 हजार रूपये एडवांस मिल गया है. आज वे अपनी उपज को राजस्थान, यूपी, केरल और गोवा तक बेचते हैं. इस साल वे फायदे को देखते हुए 2 एकड़ में स्टीविया की खेती कर रहे हैं.
स्टीविया के फायदे
मीठी तुलसी डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होती है. दरअसल इसमें शकर और गन्ने की तुलना में 300 गुना अधिक शुगर होती है लेकिन इसके बावजूद यह डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण औषधि का काम करती है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मीठी तुलसी में ग्लूकोज की मात्रा नहीं होती है. वहीं यह मोटापा घटाने और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी फायदेमंद होती है. यही वजह है कि बाजार में इस औषधि पौधे की अच्छी खासी मांग होती है.