मौसम सारांश: अगले 5 दिनों के दौरान बारिश होने की कोई संभावना नहीं है. अगले पांच दिनों के दौरान हवा की गति 6 से 12 किमी प्रति घंटे रहने की संभावना है. इस दौरान अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेंटीग्रेड और न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेंटीग्रेड रहने का अनुमान है. अगले पांच दिनों में अधिकतम सापेक्षिक आर्द्रता 95 फीसदी और न्यूनतम 50 फीसदी रहेगी.
सामान्य सलाहकार: किसानों से अनुरोध है कि वे स्थान विशेष के पूर्वानुमान के लिए अपने मोबाइल पर पर मौसम ऐप डाउनलोड करें. किसानों से यह भी अनुरोध है कि वे एग्रोमेट एडवाइजरी के लिए अपने मोबाइल पर मेघदूत एप डाउनलोड करें.
फ़सल विशिष्ट सलाह
- किसानों को सलाह है कि खरीफ फ़सलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाऐ. क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज़्यादा होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है. इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणे फसलों तक कम पहुचती है, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है. किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है. जिससे मृदा से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है. नमी मृदा में संरक्षित रहती है. धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल / हेक्टेयर किया जा सकता है.
- मौसम को ध्यान में रखते हुए धान की फसल यदि कटाई योग्य हो गयी तो कटाई शुरू करें. फसल कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन खेत में सुखाकर गहाई कर लें. उसके बाद दानों को अच्छी प्रकार से धूप में सूखा लें. भण्डारण के पूर्व दानों में नमी 12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए.
- मौसम को ध्यान में रखते हुए गेंहू की बुवाई हेतू खाली खेतों को तैयार करें तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें. उन्नत प्रजातियाँ - सिंचित परिस्थिति- (एच. डी. 3226), (एच. डी. 2967), (एच. डी. 3086), (एच. डी. सी. एस. डब्लू. 18), (ड़ी.बी.डब्लू. 370 ), (डी. बी. डब्लू. 371 ), ( ड़ी.बी.डब्लू. 372), (डी. बी. डब्लू. 327 ) . बीज की मात्रा 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर | जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हैक्टर की दर से पलेवा के साथ दें. नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 120, 50 व 40 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर होनी चाहिये.
- तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान इस समय लहसुन की बुवाई कर सकते है. बुवाई से पूर्व मृदा में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. उन्नत किस्में - जी- 1, जी-41, जी- 50, जी-282. खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें.
- इस मौसम में ब्रोकली, फूलगोभी तथा बन्दगोभी की तैयार पौध लगाने का उपयुक्त समय है. मौसस को ध्यान में रखते हुये पौध की रोपाई ऊंची मेड़ों पर करें.
- मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.
7. पशुओं में प्रसव के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि वह स्थान साफ-सुथरा हो और किसी भी प्रकार के परजीवी संक्रमण से मुक्त हो. नवजात बछड़े के नाक, मुंह और छिद्रों को साफ करें और नीचे से 1 इंच काटकर गर्भनाल पर टिंचर लगाएं.