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Updated on: 13 February, 2023 11:10 AM IST
रोशा घास की खेती

रोशा घासजो एक बहुवर्षीय सुगन्धित पौधा है. इससे सुगन्धित रोशा तेल निकाला जाता है. रोशा घास का मूल स्थान भारत को माना गया है. इसकी खेती में पारम्परिक फसलों की तुलना में लागत कम और मुनाफ़ा ज़्यादा होता है. एक बार रोपाई के बाद रोशा घास की पैदावार से लेकर साल तक मिलती है. रोशा घास पर कीटों और रोगों का हमला भी बहुत कम होता है. आइए अब जानते हैं खेती का तरीका 

जलवायु और मिट्टी

रोशा घास का पौधा 10° से 45° सेल्सियस तक तापमान सहने की क्षमता रखता है. पौधे की बढ़वार के लिए गर्म और नमी वाली जलवायु आदर्श होती है क्योंकि इससे पौधे में तेल की अच्छी मात्रा मिलती है. हलकी दोमट मिट्टीजिसमें पानी न ठहरता होइसके लिए अच्छी रहती है. इसके लिए 100 से 150 सेंटीमीटर सालाना बारिश वाला इलाका भी माकूल होता है. रोशा घास की बढ़वार 150 से 250 सेंटीमीटर तक होती है. सूखा प्रभावित और पूरी तरह से बारिश पर निर्भर इलाकों के लिए भी रोशा घास एक उपयुक्त फसल है.

खेत की तैयारी

रोशा घास के लिए खेत की तैयारी रोपाई के तरीकों यानी बीज या पौध रोपण पर भी निर्भर करती है. खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए कम से कम दो बार हैरो या कल्टीवेटर से जुताई करनी चाहिए. आख़िरी जुताई के समय प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन सड़ी गोबर की खाद खेत में डालना चाहिए. 

नर्सरी की प्रक्रिया

नर्सरी में पौधों को अप्रैल से मई में तैयार करना चाहिए. प्रति हेक्टेयर 25 किलोग्राम बीज की मात्रा काफी है. बीज को रेत के साथ मिलाकर 15-20 सेंटीमीटर की दूरी और 1-2 सेंटीमीटर की गहराई में या क्यारियों के ऊपर छिड़ककर बोना चाहिए. नर्सरी को लगातार नम रखने से अंकुरण जल्दी होता है और ये करीब महीने भर खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं. 

खेत में पौधों की रोपाई

नर्सरी से निकाले गये पौधों को अच्छी तरह से तैयार खेत में 60×30 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. रोपाई से पहले खेत में सिंचाई करनी चाहिए और यदि रोपाई के बाद बारिश में देरी हो तो भी हल्की सिंचाई जरूर करें.

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सिंचाई

बारिश में रोशा घास की फसल को सिंचाई की ज़रूरत नहीं पड़ती. लेकिन गर्मियों में 3-4 सिंचाई और सर्दियों में दो सिंचाई पर्याप्त होती है. कटाई से पहले सिंचाई बन्द कर देना चाहिए लेकिन कटाई के बाद सिंचाई अवश्य करनी चाहिए.

English Summary: Excellent income from cultivation of Rosha grass, bumper yield even in barren and less useful land
Published on: 13 February 2023, 11:14 AM IST

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