मुख्य पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की कमी आम तौर पर ज्यादातर दिये जाने वाले उर्वरक के द्वारा दूर हो जाती है. ये उर्वरक है- यूरिया, डीएपी, एमओपी आदि. लेकिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की तरफ भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है. पौधों में इन पोषक तत्वों (Nutrients) की कमी अधिक देखने को मिलती है जिसे पहचान कर उसकी पूर्ति की जा सकती है. अतः इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण इस प्रकार है.
कैल्शियम की कमी के लक्षण (Calcium deficiency symptoms)
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पौधों में इसकी अधिक कमी होने पर न पत्तियां सबसे अधिक प्रभावित होती है. पौधों में पत्तियों का आकार छोटा और विकृत (टेड़ा-मेड़ा) हो जाता है, किनारे कटे-फटे होते हैं तथा इनके ऊपर धब्बे उभर जाते हैं.
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जड़ों का विकास कैल्शियम की कमी से सही प्रकार से नहीं हो पाता. इनके तने (Stem) कमजोर हो जाते हैं.
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चुकन्दर (Sugar beet) की पत्तियां किनारों से पीली पड़ जाती हैं और ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं तथा इनमें ऊतक-क्षय के धब्बे पड़ जाते हैं.
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दलहनी पौधों (Pulses) में कैल्शियम की कमी के कारण जड़ों मे कम और छोटी ग्रन्थियां पीएम मोदी के एक तीर से दो निशाने बनती हैं. आलू के पौधे झाड़ी की तरह हो जाते हैं. ट्यूबर का निर्माण पूर्ण रूप से प्रभावित होता है तथा उनकी संख्या कम एवं उनका विकास नहीं होता है.
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मक्का में नई पत्तियों पर मध्य शिरा और किनारों के बीच पीली सफ़ेद पट्टी विकसित हो जाती है. नई पत्तियों की नोक चिपक जाती है और खुलती नहीं है.
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टमाटर में फल के शीर्ष भाग का गोलाई में सड़ना तथा फल सड़ कर खराब हो जाना.
मैग्नीशियम की कमी के लक्षण (Symptoms of magnesium deficiency)
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इसकी कमी के लक्षण सबसे पहले पुरानी पत्तियों में दिखाई पड़ते हैं और धीरे-धीरे नई पत्तियों पर भी इसका प्रभाव बढ़ता चला जाता है.
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जिन पौधो में मैग्नीशियम की कमी होती है उनमें पर्णहरित की कमी हो जाती है और पत्तियों में धारियाँ बन जाती हैं.
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इसकी अधिक कमी होने से पत्तियाँ अन्दर की ओर मुड़ कर पीली पड़ जाती हैं.
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छोटे अनाजों (Cereals) की फसलों में पौधे बोने रह जाते हैं और पीले पड़ जाते हैं.
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कभी- कभी पत्तियों पर हरे रंग के चकते भी दिखाई देते हैं.
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दलहनी पौधों में पत्तियों की मुख्य नसों के बीच की जगह पीले रंग तथा धीरे-धीरे गहरे पीले रंग की हो जाती है.
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आलू (Potato) के पौधों में मैग्नीशियम की कमी से पत्तियाँ जल्दी टूटने वाली हो जाती हैं.
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नींबू जाति (Lemon, Lime) के पौधों में इसकी कमी से पत्तियों पर अनियमित आकार के पीले धब्बे पैदा हो जाते हैं.
सल्फर की कमी के लक्षण (Sulphur deficiency symptoms)
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नई पत्तियाँ (New leaves) हल्के हरे से पीले रंग की हो जाती है.
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समान्यतः पूरा पौधा हरे पीले रंग का दिखाई देता है जिससे नाइटोजन (Nitrogen) की कमी जैसे लक्षण दिखाई देते है किन्तु सल्फर की कमी से नई पत्तियाँ अधिक पीले रंग की हो जाती है.
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सल्फर की कमी से तिलहनी फसलों तेल की मात्रा कम हो जाती है तथा दलहनी फसलों में सल्फर की कमी से पौधो की जड़ो में गांठे कम बनती है जिससे ये वायुमंडल से नाइट्रोजन उचित मात्रा में स्थरीकरण (N fixation) नहीं कर पाते परिणाम स्वरूप नाइट्रोजन की कमी भी दलहनी फसलों में देखी जा सकती है.
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दलहनी पौधों की नयी पत्तियों का रंग हल्के हरे से पीला तक हो जाता है.
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सब्जियों में पत्तियों का रंग हरा पीला हो जाना और पत्तियाँ मोटी तथा कड़ी हो जाती है. तने कड़े हो जाते हैं. कभी-कभी बहुत लम्बे और पतले हो जाते है.
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सल्फर की कमी से आलू की पत्तियों का रंग पीला, तने कठोर तथा जड़ों का विकास कम रहता है.
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तम्बाकू (Tobacco) वृद्धि की प्रारम्भिक अवस्था में सम्पूर्ण पौधे का रंग हल्का हरा हो जाता है और पत्तियाँ नीचे की ओर मुड़ जाना तथा वृद्धि का रूक जाना प्रमुख लक्षण है.
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नींबू वर्गीय पेड़ों की वृद्धि सल्फर की कमी होने से मन्द पड़ जाती है, उनकी नयी पत्तियों का रंग बहुत हल्के पीले से पीले तक हो जाता है.
आयरन की कमी के लक्षण (Symptoms of iron deficiency)
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आयरन की कमी का सामान्य प्रभाव पौधों के नए भागों पर पड़ता है, इसकी कमी से पौधे छोटे एवं कमजोर रहते हैं.
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पत्तियाँ पीली पड़ जाती है विशेषकर फल वाले पेड़ों में यह पीलापन पत्तियों की शिराओं के बीच में होता है.
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सब्जियों में पत्तियों की शिराओं के बीच का भाग पीला पड़ जाता है तथा बाद में पूरी पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं.
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दलहनी पौधों में पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, पर उनकी शिरायें हरी रहती है.
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पत्तियों पर विशेषकर उनमें किनारों पर निर्जीव ऊतकों के धब्बे दिखाई देने लगते हैं.
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नींबू वर्गीय पेड़ों में पत्तियों की शिराओं के बीच का भाग पीला पड़ने के साथ-साथ प्रायः उनकी टहनियाँ भी सूखने लगती हैं. बहुत से फल पूर्ण नहीं पकते और वृद्धि पर घट जाने से फल पूरी तरह नहीं पकने के साथ हल्के रंग के परिवर्तित हो जाना मुख्य है.
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धान, मक्का, सोयाबीन, गेहु और सरसों में नई पत्तियों पर आरम्भ में शिराओं के मध्य हरिमाहीनता हो जाती है तथा शिराएँ हरी बनी रहती है. अधिक प्रकोप पर शिराएँ भी हरिमाहीनता हो जाती है तथा नई पत्तियाँ सफ़ेद हो जाती है.
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चना में नई पत्तियाँ चमकीली पीली हो जाती है. कमी की उग्र स्थिति में पत्तियाँ सफ़ेद हो जाती है अंत मे सुख कर गिर जाती है.
मैंगनीज की कमी के लक्षण (Manganese deficiency symptoms)
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मैंगनीज की कमी के प्रभाव से पत्तियों की अन्तः शिराओं में छोटे- छोटे हरिमाहीन धब्बों का विकसित होना.
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अधिक कमी होने पर ये धब्बे हल्के हरे रंग से बदल कर पीले या भूरा सफेद हो जाते हैं पौधों की वृद्धि का रूक जाना.
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अनाज की फसलों में इनकी कमी से पत्तियाँ भूरे रंग की और पारदर्शी हो जाना प्रमुख लक्षण हैं.
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मक्का में शीर्ष पत्तियों के ठीक नीचे वाली पत्तियों में ही लक्षण प्रकट होते है. मध्य पत्तियों के मध्य भाग मे सफ़ेद धारियों के रूप में हरिमाहीनता दिखाई देती है.
जिंक की कमी के लक्षण (Zinc deficiency symptoms)
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जिंक की कमी होने पर सामान्यतः पौधों में सबसे पहले वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है और तने की लम्बाई कम होना एवं पत्ती मुड़ जाना.
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मक्का के छोटे पौधों मं जिंक की कमी से सफेद कली रोग पैदा हो जाना है. जिससे ऊतकों में छोटे धब्बे होते हैं. अभाव के लक्षण मध्य पत्तियों से ऊपर की पत्तियों की तरफ बढ़ते है. पत्ती के आधार भाग से मध्य भाग में मध्यशीरा के दोनों तरफ सफ़ेद रंग की पट्टी बनती है.
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खिलती हुई कलियों की पत्तियाँ सफेद या हल्के रंग की होती हैं.
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पौधों में धूसर-भूरे रंग के काँसे के अनियमित धब्बे पड़ जाते हैं. धब्बे प्रायः पत्तियों के बीच में होते हैं. पौधों के जिंक की अत्यधिक कमी होने पर पौधे पीले पड़ जाते हैं. और उनकी पत्तियों की शिराओं का रंग गहरा हो जाता है.
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जिंक की कमी से चावल की फसल में तराई वाले भागों में ‘‘खैरा’’ नामक रोग होता है.
बोरॉन की कमी के लक्षण (Boron deficiency symptoms)
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बोरॉन की कमी से धान की फसल में नई पत्तियों में निकलने वाली सफ़ेद नोक रस्सी की तरह बंट जाती है.
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मक्का में नई पत्तियों में सलवट या सिकुड़न आ जाती है तथा अधिक कमी पर पारदर्शी झिल्ली बन जाती है.
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गेहूं में नई पत्तियाँ पूरी तरह से खिल नही पाती तथा पत्तियाँ किनारों से कटी हुई नजर आती है.
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टमाटर में नई पत्तियों व कोपलों पर सिकुड़न पड़ जाती है, पत्तियाँ झुंड में दिखाई देती है. परिपक्क्व होने से पहले फलों का फट जाना इसका मुख्य लक्षण है.
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अमरूद में नई पत्तियां मोटी होकर मुड़ने लगती है एवं भंगुर हो जाती है. फलों की आकृति बिगड़ जाती है तथा अंत में फल फट जाता है.
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नींबू में नई पत्तियाँ मूड जाती है और झाड़ीनुमा हो जाती है. फलों में गोंद वाले भूरे धब्बे पड़ जाते है और फल फट जाते है.