GFBN Story: गन्ने और केले की स्मार्ट खेती से हिमांशु नाथ ने रचा सफलता का इतिहास, सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से ज्यादा! GFBN Story: लाख की खेती से मिलन सिंह विश्वकर्मा को मिली बड़ी पहचान, सालाना कमा रहे हैं भारी मुनाफा! GFBN Story: रिटायरमेंट के बाद इंजीनियर शाह नवाज खान ने शुरू की नींबू की खेती, अब कमा रहे हैं शानदार मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 14 March, 2023 11:00 AM IST
किनोवा की खेती का तरीका

किनोवा को रबी सीजन की प्रमुख नकदी फसल कहते हैंजिसकी खेती अक्टूबर से लेकर मार्च तक होती है. किनोवा पत्तेदार सब्जी बथुआ की प्रजाती का सदस्य पौधा है इसी के साथयह एक पोषक अनाज भी हैजिसे प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत भी कहते हैं जो शरीर में वसा कम करनेकोलस्ट्रॉल घटाने और वजन कम करने के लिए लाभदायक है. इसके चमत्कारी गुणों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे पोषण अनाज की श्रेणी में शामिल किया है वहीं बाजार में इसकी मांग काफी बढ़ रही हैजिससे किसानों के लिए खेती भी फायदे का सौदा साबित हो रही है.

उपयुक्त जलवायु और तापमान- इसकी खेती हिमालयीन क्षेत्र से लेकर उत्तर मैदानी हिस्सों में आसानी से हो सकती है. सर्दियों का मौसम खेती के लिए उचित माना जाता है. इसके पौधे सर्दियों में गिरने वाले पाले को भी आसानी से सहन कर लेते हैं. बीजों को अंकुरित होने के लिए 18 से 22 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही बीज सहन कर सकते हैं. 

उपयुक्त मिट्टी- किनोवा की खेती लगभग सभी मिट्टी में की जा सकती हैलेकिन भूमि अच्छी जल निकासी वाली जरूर हो. भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए. भारत में किनोवा की खेती रबी सीजन में की जाती है.

बुवाई का समय - भारत की जलवायु के हिसाब से बीजों की बुआई नवम्बर से मार्च के समय करनी चाहिए,  लेकिन कई जगहों पर इसकी खेती जून से जुलाई के महीनों में भी की जा सकती है. 

बीजों की मात्रा और बीज उपचार- किनोवा की खेती के लिए प्रति एकड़ लगभग से 1.5 किलो बीज की जरूरत होती है. बीजों को बोने से पहले उपचारित जरूर करना चाहिएबीज उपचारित होने से अंकुरण के समय कोई परेशानी नहीं होती और फसल भी रोग मुक्त होती है. किनोवा की बुआई से पहले बीज को गाय के मूत्र में 24 घंटे के लिए डालकर उपचारित करना चाहिए.

बीजों की बुवाई विधि- किनोवा के बीजों की बुवाई ड्रिल विधि से करनी चाहिए. जिसके लिए पंक्तियों को तैयार करते समय प्रत्येक पंक्ति के बीच एक फीट की दूरी रखी जाती है फिर पंक्तियो में बीजों की रोपाई 15 सेमी. की दूरी रख कर करते हैंइसके अलावा बीजों की बुवाई छिड़काव विधि से भी की जा सकती है छिड़काव विधि से बीज को रेत या राख मिलाकर छिड़काव करें. 

सिंचाई- किनोवा के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती,  इसके पौधे सूखे मौसम को भी आसानी से सहन कर लेते हैं किनोवा की फसल 3-4 सिंचाई के बाद पककर तैयार हो जाती है इसके पौधों की प्रारंभिक सिंचाई बीज रोपाई के बाद की जाती है इसके बाद की सिंचाई को पौधों के विकास और बीज अंकुरण के दौरान करना चाहिए. 

उत्पादन और लाभ- किनोवा की बुआई के लगभग 100 से 150 दिन में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.  फसल की ऊंचाई से फिट तक होती है और इसको सरसों की तरह काट कर थ्रेसर से दाना निकाला जाता है. एक अनुमान के मुताबिक एक एकड़ जमीन पर 20 से 24 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. 

ये भी पढ़ेंः किनोवा की खेती के बारे में...

मंडियों में किनोवा की प्रति क्विंटल उपज का भाव 8,000 से 10,000 रुपये है इस प्रकार सिर्फ एक एकड़ जमीन पर किनोवा उगाकर कम समय में लाख से 2.4 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं.

English Summary: Earn more profit in less cost from quinoa farming, it also takes less effort
Published on: 14 March 2023, 10:19 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now