अगर आप अदरक की खेती को करना चाहते है तो आपको काफी ज्य्दा अच्छा मुनाफा हो सकता है. क्योंकि अदरक की खेती बहुत ही कम खर्च में अधिक पैदावार देती है. यदि इसकी फसल को वैज्ञानिक तरीके से करने पर विचार किया जाए तो काफी अच्छा मुनाफा हो सकता है. अदरक की मुख्य रूप से तीन किस्में होती है एक सुप्रभात, दूसरा सुरूचि और तीसरा सुरभी जो कि काफी अच्छी मानी जाती है. तो आइए जानते है कि किस तरह से हम अदरक की खेती कर सकते है जिससे हमकों फायदा होने की उम्मीद हैः
कैसे करें अदरक की खेती
सभी जानते है कि अदरक की खेती कैसे की जाती है। सर्दियां आ गई है ऐसे में यह एक ऐसी फसल है जिसका प्रयोग हम घर में होता है। इस फसल को भी हम वैज्ञानिक तरीके से आसानी से कर सकते है। अब यदि किसी किसान को अदरक की खेती करनी है तो वह उसे जमीन पर भी कर सकते है, लेकिन आजकल उचित जल निकास वाली दोमट भूमि में अदरक की खेती को सर्वोत्तम माना जाता है। मृदा निर्माण से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए। इसके साथ ही अदरक की खेती को खरपतवार रहित रखने के लिए मिट्टी को नरम बनाए रखने की आवश्यकता हेतु लगातार जुताई करते रहना चाहिए।
अदरक की खेती जलवायु
यदि हम अदरक की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो अदरक की खेती ऐसी जगह पर करनी चाहिए जहां का वातावरण पूरी तरह से नर्म हो. इसके अलावा फसल के विकास के समय 50 से 60 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा हो साथ ही भूमि भी इस तरह की ही होनी चाहिए जहां पर पानी ज्यादा देर तक ना ठहर सकें और पर्याप्त छाया भी बनी रहे.
बीज की बुवाई
अदरक की फसल के लिए बीज कंदों को बोने से पहले 0.25 प्रतिशत इथेन, 45 प्रतिशत एम और 0.1 प्रतिशत बाविस्टोन के मिश्रण के घोल में लगभग एक घंटे तक डुबों कर रखे रहना चाहिए. फिर इसे दो से तीन तीन तक इसे छाया में ही सूखने देना चाहिए. जब ये बीज अच्छे तरह से सूख जाए तो उसे करीब ल4 सेंटीमीटर गहरे गड्डे को खोद कर उसी में बो देना चाहिए. बीज को बोते समय कतार की दूरी कम से कम 25 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी लगभग 15 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए. इसकी बीज के बुवाई के तुंरत बाद ही उसके ऊपर से घास फूस पत्तियों और गोबर की खाद को डालकर पूरी तरह से अच्छे से ढंक लेना चाहिए. इससे मिट्टी के अंदर नमी बनाए रखना काफी ज्यादा आसान होता है. साथ ही अदरक के अंकुरन तेज धूप से बच सकते है.
सिंचाई व जल प्रबंधन
अदरक की खेती में बराबर नमी का बना रहना काफी ज्यादा जरूरी है. इसीलिए इसकी खेती में पहली सिंचाई को बुआई के तुंरत बाद कर लेना चाहिए. अदरक की खेती के लिए सिंचाई की बेहतर तकनीकों में टपक पद्धति या ड्रिप एरिगेशन का प्रयोग किया जाए तो इसके काफी अच्छे परिणाम सामने आ सकते है.
खाद प्रबंधन
अदरक की खेती जब भी जाती है तो इसकी जांच करने के बाद ही पता लगता है कि कब, कितनी खाद का प्रयोग करना चाहिए। अगर मिट्टी की जांच ना भी की जाए तो भी गोबर की खाद या फिर कम्पोस्ट से 20 से 25 टन, नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, 75 किलोग्राम फास्फेरस साथ ही 100 ग्राम प्रतिहेक्टेयर की दर से पोटाश को खेत में डालना चाहिए.
इस खाद को देने के लिए आप चाहें तो गोबर या कंपोस्ट को भूमि की तैयारी से थोड़ा पहले खेत में सामान्य रूप से डालकर खेत में अच्छे से जुताई करनी चाहिए. इसके साथ नाइट्रोजन, फास्फेरस, पोटाश की आधी मात्रा को बीज की बुआई के समय दिया जाना चाहिए. इसके बाद आधी को बुआई के कम से कम 50 से 60 दिनों के बाद खेत में डाल कर चढ़ा लेना चाहिए.