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Updated on: 9 November, 2020 3:44 PM IST

भारत में चुकंदर का उपयोग सलाद और ज्यूस बनाने में सबसे ज्यादा किया जाता है. वहीं दुनिया के अन्य देशों में चुकंदर का सबसे ज्यादा उपयोग शक्कर (चीनी ) बनाने में किया जाता है. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की गढ़ मुक्तेश्वर तहसील के खिलवाई गांव के सुधीर त्यागी चुकंदर की खेती सफल खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि चुकंदर का ज्यूस लोग सर्दी के दिनों में पसंद करते हैं. वहीं कुछ लोग चुकंदर को डॉक्टर की सलाह पर हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए करते हैं. वहीं इसकी सब्जी और हलवा भी बनता है. चुकंदर के पत्तों की भुजिया काफी टेस्टी होती है. तो आइए जानते हैं सुधीर त्यागी से कि चुकंदर की खेती कैसे करें? और इससे कितना मुनाफा होता है-

चुकंदर की खेती के लिए बुवाई (Sowing for Beet Farming)-

सुधीर ने बताया कि चुकंदर की फसल अधिक बारिश में खराब हो जाती है. इसमें गलन की समस्या आ जाती है. इसलिए इसकी बुवाई बारिश निकलने के बाद 10 सितंबर से 15 मार्च के बीच में करना चाहिए. यह 120 की दिन की फसल होती है. 90 दिन में इसकी हार्वेस्टिंग शुरू हो जाती है. ऐसे में दिसंबर अंत और जनवरी के पहले सप्ताह में इसकी स्टैंडर्ड क्वालिटी खोदकर मंडी में बेच दी जाती है. इसकी हार्वेस्टिंग एक साथ नहीं की जाती है.

चुकंदर की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of Field for Beet Cultivation)-

उन्होंने बताया कि चुकंदर की खेती के लिए खेत की कोई खास तैयारी नहीं करना पड़ती है. इसके लिए कल्टीवेटर और रोटीवेटर से 2-3 जुताई की जाती है. इसमें एक बात का विशेष ध्यान रखना पड़ता है कि मिट्टी को महीन बनाना बेहद आवश्यक है. इसलिए अच्छे से जुताई करने के बाद ही फसल की बुवाई की जाती है.

चुकंदर की खेती के लिए बुवाई की विधि (Method of Sowing for Beet Cultivation)-

चुकंदर की फसल की दो विधि से बुवाई की जाती है. पहली छिटकवा विधि और दूसरी मेड़ विधि. सुधीर का कहना है कि छिटकवा विधि में बीज की मात्रा अधिक डालना पड़ती है वहीं पैदावार भी कम होती है. जबकि मेड़ विधि से अच्छी पैदावार ली जा सकती है.

छिटकवा विधि- इस विधि में क्यारी बनाकर बीज को फेंका जाता है. इसके लिए प्रति एकड़ 3.5 किलो से 4 किलो बीज लगता है. वहीं पैदावार अच्छी होती है.

मेड़ विधि- 10 इंच की दूरी पर मेड़ बनाई जाती है. जो लगभग एक फीट ऊँची होती है. जिस पर एक या दो कतारों में चुकंदर का बीज लगाया जाता है. पौधे से पौधे की दूरी 3 इंच रखी जाती है. वहीं बीज की बुवाई आधे सेंटीमीटर की गहराई पर होती है. ज्यादा गहराई में बीज डालने पर खराब हो जाता है.

चुकंदर की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Beet Farming)-

बीज रोपाई के बाद पहली सिंचाई की जाती है. सुधीर का कहना कि पहली सिंचाई काफी सावधानीपूर्वक करना चाहिए. इससे केवल क्यारियों को नमी देना होती है. इसलिए हल्की सिंचाई की जाती है. ताकि बीजों का अंकुरण अच्छी तरह से हो सके. इसके बाद आवश्यकतानुसार पानी देना पड़ता है.

चुकंदर की खेती के लिए उर्वरक (Fertilizers for Beet Farming)-

खेत तैयार करने के वक्त 40 से 50 किलो फास्फोरस (डी.ए.पी) और इतनी ही मात्रा में पोटाश (म.ओ.पी) डाल कर खेत तैयार करें और इसमें चुकंदर की अच्छी फसल लेने के प्रति एकड़ 30 किलो नाइट्रोजन और 10 किलो कैल्शियम नाइट्रेट बोरान युक्त डाला जाता है. खाद 35 से 40 दिन बाद उस समय देना चाहिए जब चुकंदर की गांठे बनने लगती है. सुधीर का कहना है कि पहले खेत की अच्छे से निराई गुड़ाई कर दें. इसके बाद उर्वरकों की मात्रा डालनी चाहिए. उर्वरक पूरे खेत में फेंकने की बजाय पौधों की जडों में रखना चाहिए. नाइट्रोजन की ज्यादा मात्रा नहीं देना चाहिए. इससे फसल को नुकसान होता है. नाइट्रोजन सिर्फ पौधे की रौनक बढ़ाता है.

चुकंदर की खेती के लिए सावधानियां (Precautions for Beet Farming)-

चुंकदर की फसल में लगने वाली बीमारियों के बारे में सुधीर बताते हैं कि इसमें फंगस लगने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. यदि पौधें की पत्तियां लाल होने लगती है तो समझे की पौधें में फंगस का प्रकोप है. इसलिए बाजार में उपलब्ध अनुशंसित फंगसनाशक दवाई का प्रयोग करना चाहिए. वहीं समय समय पर अनुशंसित दवाईयों का छिड़काव करें.

चुकंदर के कंद का आदर्श वजन (Ideal Weight of Beet Tuber )-

सुधीर का कहना है कि जब चुकंदर का कंद 3.50 से 400 ग्राम का हो जाए तब बाजार में बेचने के लिए ले जाएं. इस क्वालिटी के फल की बाजार में अच्छी मांग रहती है. वहीं 500 ग्राम का कंद होने पर फसल बिकती नहीं है. इसलिए कोशिश करना चाहिए कि कंद को समय पर मंडी में पहुंचाए.

चुकंदर की खेती से कितनी कमाई होती है (How much is Earned from Beet Farming)-

एक एकड़ से चुकंदर की 100 क्विंटल की फसल आसानी से ली जा सकती है. जिसमें लगभग 30 हजार रूपए का खर्च आता है. आमतौर पर सीजन के टाइम 10 से 15 रूपए किलो यह आसानी से बिक जाता है. वहीं अभी यह 22 रूपए किलो बिक रहा है. जबकि आफ सीजन में 40 रूपए किलो तक चुकंदर बिक जाता है. सर्दी में इसकी अच्छी मांग रहती है. एक एकड़ से लगभग 1 लाख रूपए की फसल बिक जाती है. इस तरह प्रति 70 हजार रूपए का शुद्ध मुनाफा हो जाता है. सुधीर ने बताया कि वह पिछले 5 सालों से चुकंदर की खेती कर रहे हैं. हर साल वे 5 से 7 एकड़ में चुकंदर की फसल बोते हैं. उन्हें इससे 3.5 से 5 लाख रूपए तक की एक सीजन में कमाई हो जाती है.

चुकंदर की किस्में (Beet Varieties)-

सुधीर का कहना है कि चुकंदर की तीन किस्में है देसी, हाइब्रिड और इम्पोर्टेड. हमारे यहां मास्टर गोल्ड और दीपिका प्रजाति काफी प्रचलन में है. यह हाइब्रिड किस्में है. वहीं इसके अलावा भी चुकंदर की निजी क्षेत्र की कई किस्में मौजूद है.

चुकंदर की खेती अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-

किसान-सुधीर त्यागी       
पता-खिलवाई, तहसील गढ़ मुक्तेश्वर, जिला हापुड़, उत्तर प्रदेश           
मोबाइल नंबर-99273-88340

English Summary: earn huge profits by cultivating beet in the field
Published on: 09 November 2020, 03:49 PM IST

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