तुलसी की मांग बाजार में दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है इसलिए यह अब सिर्फ हमारे आंगन तक सीमित नहीं है. भारत ही नहीं दुनियाभर में तुलसी की जबरदस्त मांग होती है. तुलसी की जड़ें, तना और बीज सभी उपयोगी होते हैं. यही वजह है कि तुलसी की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. तुलसी का इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के साथ आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाओं में होता है. इसके अलावा कॉस्मेटिक इंडस्ट्री और परफ्यूम में इसका उपयोग किया जाता है. यही कारण है कि तुलसी की खेती देश में बढ़े पैमाने पर की जा रही है. भारत में तुलसी की खेती उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, सीतापुर, बरेली, बदायूं जिलों में और बिहार के मुंगेर, नालंदा जिलों में होती है.
तुलसी की खेती के लिए प्रमुख किस्में (Major varieties for Basil Cultivation)
तुलसी की एक देसी प्रजाति होती है जिसे ओशीमम सेंटम कहते हैं. इसकी एक बेसिलीकम किस्म होती है जिसकी कमर्शियल डिमांड ज्यादा होती है. व्यावसायिक खेती के लिए तुलसी की इसी किस्म का चयन करें.
तुलसी की खेती के लिए जलवायु- ( Climate for Basil Cultivation)
तुलसी की खेती के लिए गर्म जलवायु उत्तम मानी जाती है. इसके पौधे पाला सहन नहीं कर पाते हैं. दरअसल, तुलसी कम सिंचाई वाली और कम से कम कीटों और रोगों प्रभावित होने वाली फसल मानी जाती है.
तुलसी की खेती के लिए मिट्टी ( Soil for Basil Cultivation)
आमतौर पर यह किसी भी प्रकार मिट्टी में पैदा हो जाती है. हालांकि इसकी अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी जो भुरभुरी और समतल और जिसमें पानी निकासी की उपयुक्त व्यवस्था हो उपयुक्त मानी जाती है. कम लवणीय और कम क्षारीय मिट्टी में भी तुलसी की खेती आसानी से की जा सकती है.
तुलसी की खेती के लिए पौधे की तैयारी (Plant preparation for Basil Cultivation)
तुलसी को बीज और तने दोनों से उगा सकते हैं. लेकिन यदि आप इसकी व्यावसायिक खेती कर रहे हैं तो बीज से पौधा करना अच्छा होता है. इसकी नर्सरी जून महीने में तैयार करना चाहिए.नर्सरी 3 x 3 मीटर की दूरी पर बेड पद्धति से तैयार करना चाहिए. हल्की बालू में मिला करके क्यारी में तुलसी के बीज का छिटकाव करें. अब इसे भीगे हुए पुआल से इसे ढंक दें और ऊपर से पानी का छिड़काव कर दें. ताकि उसमें नमी बनी रहे. पानी का छिड़काव बुआई के एक सप्ताह तक प्रतिदिन करना चाहिए.
तुलसी की खेती के लिए पौधों की रोपाई (Transplanting of plants for Basil Cultivation)
तुलसी के पौधों की रोपाई जुलाई माह में शुरू कर सकते हैं. हालांकि तुलसी मूल रूप से बरसात की फसल है. लेकिन गेहूं काटने के बाद आप तुलसी लगा सकते हैं.
तुलसी की खेती के लिए खेत की तैयारी (Preparation of farm for basil cultivation)
खेत की तैयारी गहरी जुताई करने वाले यंत्रों से करना चाहिए. दो बार खेत की गहरी जुताई के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर देना चाहिए. इसके बाद सिंचाई और जल निकास की सही व्यवस्था करके क्यांरियां बना लें. क्यारियों से क्यारियों की दूरी 60 सेंटीमीटर होना चाहिए. पौधे 45 सेंटीमीटर पर लगाएं और इसके बाद हल्की सिंचाई कर दें.
तुलसी की खेती के लिए खाद और उर्वरक (Manure and fertilizer for Basil Cultivation)
तुलसी की खेती के लिए उर्वरक प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, फास्फोरस 40 किलोग्राम और पोटाश 40 किलोग्राम पर्याप्त होता है. रोपाई के पहले फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन 20 किलो डालें. इसके बाद नाइट्रोजन को एक महीने के अंतराल पर बराबर भागों में डालें. वहीं जैविक खाद के रूप में प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन गोबर खाद डालें या फिर 5 टन वर्मीकम्पोस्ट भी डाल सकते हैं.
तुलसी की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Basil Cultivation)
पहली सिंचाई पौधे की रोपाई के तुरंत बाद कर देना चाहिए. उसके बाद नमी के मुताबिक सिंचाई करना चाहिए. वहीं गर्मी के मौसम में 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. बरसात के मौसम में यदि बारिश होती रहे तो सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है.
तुलसी की खेती के लिए कटाई (Harvesting for Basil Cultivation)
जब पौधों में पूरी तरह से फूल आ जाए तो इसके तीन महीने बाद कटाई का सही समय रहता है. आप तुलसी के पूरे फसल काल में अधिक से अधिक तीन बार तुड़ाई कर सकते हैं. ध्यान रहे तेल निकालने के लिए तुलसी के ऊपर के तीन सेंटीमीटर भाग की ही कटाई करना चाहिए. एक हेक्टेयर के पौधों से 1 क्विंटल तेल की प्राप्ति होती है.जिससे कि 40 से 50 हजार रूपए की कमाई हो जाती है.