देश के कृषि क्षेत्र में निरंतर बदलाव आ रहा है. खेती करने वाले लोग अब पारम्परिक फ़सलों से ज़्यादा नई क़िस्मों के फल-सब्ज़ियों की खेती को ज़्यादा तरजीह दे रहे हैं। पारम्परिक खेती में फ़ायदा कम है और मेहनत अधिक, इसलिए खेती-बाड़ी से जुड़े लोगों के साथ ही नये लोग भी कृषि से जुड़ रहे हैं और आधुनिक खेती के ज़रिये अपनी आर्थिकी मज़बूत कर रहे हैं. कृषि क्षेत्र में रोज़ नये इनोवेशन्स ने मेहनत को कम कर दिया है.
एवॉकाडो पोषक तत्वों से भरपूर और स्वास्थ्य के लिए बेहद फ़ायदेमंद फल है. आजकल भारत में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रदेशों में इसकी खेती का चलन बढ़ रहा है. गर्म क्षेत्र इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं.
ऐसे करें एवॉकाडो की खेती
मूलतयः यह दक्षिण अमेरिकी फल है इसलिए ऊष्णकटिबंधीय जलवायु इसके लिए सबसे उपयुक्त है. तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. एवॉकाडो के पेड़ 5 डिग्री सेल्सियस जितनी अधिक ठंड सह सकते हैं. पारा इससे ज़्यादा गिरा तो फ़सल प्रभावित होगी या नष्ट भी हो सकती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी में 50-60 फ़ीसदी नमी की आवश्यकता होती है, इसलिए हमारे देश में यूपी का ऊपरी भाग, दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी राज्य खेती के लिए एकदम सही है. अगर आप इन क्षेत्रों से हैं तो आपको अच्छे फ़ायदे के लिए एवॉकाडो की खेती ज़रूर करनी चाहिए.
इसकी खेती के लिए 100 सेमी से ज़्यादा बारिश की हर साल ज़रूरत होती है. बात मिट्टी की करें तो लेटराइट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी है क्योंकि इसमें चिकनी मिट्टी की मात्रा ज़्यादा होती है, जिस वजह से ये पानी रोकने में सक्षम होती है. मिट्टी का पीएच मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए. वहीं लाल मिट्टी में पानी नहीं रुकता है चिकनाई भी बहुत कम होती है, लाल मिट्टी के क्षेत्रों और ठंडी जलवायु में इसकी खेती करना घाटे का सौदा साबित हो सकती है.
एवॉकाडो की प्रमुख क़िस्में
-
पिंकर्टन
-
पोलक
-
फुएर्टे
-
हैस
-
पर्पल
-
ग्रीन
-
राउंड पेराडेनिया पर्पल
-
हाइब्रिड
-
ट्रैप
-
लॉन्ग
-
फुएरते आदि खेती के लिहाज से एवॉकाडो की उन्नत क़िस्में हैं.
एवॉकाडो फसल के खेत की तैयारी
खेती के लिए आपको सबसे पहले अपने खेत की गहरी जुताई कर खरपतवारों को निकालना होगा, फिर पानी लगाकर पलेवा करें. पलेवा से मिट्टी नम हो जाती है इसके बाद रोटावेटर लगाकर मिट्टी को भुरभुरी कर लें.
एवॉकाडो फसल की रोपाई
रोपाई के लिए सबसे पहले 5 डिग्री तापमान में या सूखे पीट में एवॉकाडो के बीजों को भंडारित कर लें. 6 महीने नर्सरी में उगने के बाद अब अपने खेत में इसे लगाने के लिए निकालें. रोटावेटर के बाद भुरभुरी हुई मिट्टी को पाटा लगाकर समतल कर लें. मिट्टी का समतल होना बहुत आवश्यक है. अब आती है रोपाई करने की बारी. इसके लिए 90 बाय 90 सेमी. के आकार वाले गड्ढों को तैयार कर लें. 1:1 के अनुपात में गड्डों को मिट्टी के साथ भरें. इसके बाद पौधें लगाएं, पौधे 8 से 10 सेमी की दूरी पर लगाएं.
एवॉकाडो फसल की सिंचाई
गर्म व शुष्क जलवायु में 3 से 4 हफ़्ते में पौधों को पानी देना होता है. सर्दी के मौसम में नमी की कमी दूर करने के लिए मल्चिंग विधि का सहारा ले सकते हैं. बरसात के दौरान पौधों में पानी देते समय सावधानी रखें, पानी तभी दें जब ज़रूरत हो. सिंचाई के लिए ड्रिप विधि (Drip Technology) का उपयोग करना चाहिए.
ये भी पढ़ेंः भारत में Hass Avocado की पहली डिस्ट्रिब्यूटर है श्लोकास एग्रो प्राइवेट लिमिटेड
एवॉकाडो फसल की तुड़ाई
एवॉकाडो की खेती करने की सोच रहे हैं तो आपको थोड़ा संयम भी रखना होगा, क्योंकि इसके वृक्ष से आपको फल मिलने में क़रीब से 5 से 6 साल तक का लम्बा समय लग जाता है. बैंगनी क़िस्म के जो तैयार फल होते हैं वो बैंगनी से मैरून जबकि हरी क़िस्मों के फल हरे-पीले हो जाते हैं. एक एकड़ से आपको 100 से 500 फल तक मिल सकते हैं. उत्पादन परिस्थियों और मिट्टी के प्रकार, जलवायु, क़िस्म आदि कारकों पर निर्भर करता है. इसकी क्वालिटी के मुताबिक़ एक किलो फल की क़ीमत 300 से 500 रुपये तक मिल जाएगी.
एवॉकाडो में एनर्जी बूस्ट करने, हार्ट हेल्थ में सुधार करने, देखने की क्षमता बेहतर करने, कैंसर सेल्स में कमी करने, वज़न घटाने वग़ैरह जैसे गुण मौजूद होते हैं. आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर भी सचेत हो रहे हैं. यही वजह है कि एवॉकाडो जैसे सुपरफ़ूड की मांग बाज़ार में बढ़ती ही जा रही है. इसलिए अगर आप भी लेख में बताए गए इलाक़ों से सम्बंध रखते हैं और खेती करते हैं या खेती के ज़रिये मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं तो एवॉकाडो की खेती (Avocado Farming) कर बाज़ार की डिमांड पूरी कर सकते हैं और अच्छा पैसा कमाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत कर सकते हैं.
उम्मीद है कि आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा होगा. कृषि से जुड़ी और तमाम जानकारियों के लिए जुड़े रहिए भारत की नम्बर 1 एग्रीकल्चर मैगज़ीन कृषि जागरण के साथ.