बहुत से लोग हैं, जिन्हें फल-सब्जियों की खेती से हटकर कुछ और उगाने का दिल करता है. मगर उन्हें यह समझ नहीं आता कि ऐसे किस चीज़ की खेत की जाएं, जिससे वो अच्छी गुणवत्ता वाली फसल के साथ आय में बढ़ोतरी कर पाएं. ऐसे में राजमा उगाना (Rajma Ki Kheti) उनके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है. खास बात यह है कि इसको उगाने में ज्यादा परेशानी भी नहीं आती है. तो आइये जानते है कि राजमा की खेती (Kidney Beans Farming) कैसे की जाये.
राजमा की विशेषताएं (Rajma Features)
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राजमा को अपने गहरे लाल रंग के साथ दिखने में गुर्दे के आकार के लिए जाना जाता है.
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राजमा प्रोटीन(Protein) का एक अच्छा स्रोत है और यह मोलिब्डेनम का भी उत्कृष्ट स्रोत है.
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इसमें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फाइबर का अच्छा स्रोत होता है.
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लाल राजमा से बने उत्तर भारतीय व्यंजनों का एक लोकप्रिय व्यंजन है.
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महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक भारत में प्रमुख राजमा उत्पादक राज्य हैं.
मिट्टी का चुनाव (Soil selection)
इसे हल्की रेतीली से लेकर भारी मिट्टी में उगाया जा सकता है. राजमा की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी अच्छी होती है.
बुवाई का समय (Sowing Time)
राजमा की खेती के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी-मार्च है और खरीफ मौसम के लिए मई-जून महीने के दौरान भी बोया जाता है. पंजाब में कुछ किसान जनवरी के अंतिम सप्ताह में राजमा की बुवाई करते हैं जिससेअच्छे परिणाम आते है.
राजमा की किस्में (Rajma Varieites)
भारत में उगाई जाने वाली उच्च उपज देने वाली राजमा की किस्मों में आरबीएल 6, वीएल राजमा 125, एचयूआर 15, एचयूआर-137, एम्बर और अरुण हैं. इसके साथ ही अर्का कोमल, अर्का सुविधा, पूसा पार्वती, पूसा हिमालया, वीएल बोनी 1, ऊटी 1 शामिल है.
राजमा उगाने के लिए शुरुआती कदम (Beginners Steps to Grow Rajma)
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सबसे पहले राजमा की बुवाई के लिए एक अच्छी जगह चुनें. 'ऐसी जगह का चयन करें, जहां हर दिन कम से कम 6 से 8 घंटे सीधी धूप मिलती हो.
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यह अच्छी वनस्पति वृद्धि में मदद करेगा और कीटों और बीमारियों के जोखिम को कम करेगा.
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आपको अच्छी तरह से सुखी, ढीली मिट्टी की जरूरत है, जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो और जिसमे पीएच लेवल 0 से 7.0 हो.
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सफलता की संभावनाओं को अधिकतम करने के लिए, दो बीजों को एक-दूसरे के पास रोपें.
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बीज को 1-2 इंच गहरा बोएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पौधा जमीन में मजबूती से टिका रहेगा.
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राजमा को मिट्टी से ढंक दें, जमीन को सख्त कर दें और उन्हें हल्का पानी दें.
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बीज दो सप्ताह के भीतर अंकुरित हो जायेगा, फिर पौधे को परिपक्व होने और राजमा पैदा करने में लगभग 100-140 दिन लगेंगे.
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पौधों को नम रखें, लेकिन उन्हें अधिक पानी न दें.
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किडनी बीन्स को केवल न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें लगातार पानी देने से बचें.
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खरपतवार को कम करने और मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करने के लिए गीली घास की एक परत रख दें.