NSC की बड़ी पहल, किसान अब घर बैठे ऑनलाइन आर्डर कर किफायती कीमत पर खरीद सकते हैं बासमती धान के बीज बिना रसायनों के आम को पकाने का घरेलू उपाय, यहां जानें पूरा तरीका भीषण गर्मी और लू से पशुओं में हीट स्ट्रोक की समस्या, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 4 January, 2021 4:50 PM IST
Garlic Cultivation

देशभर में रबी सीजन में लहसुन की खेती की जाती है. वहीं मध्य प्रदेश में भी बड़े क्षेत्रफल में लहसुन की खेती होती है लेकिन किसानों के सामने अब बड़ी समस्या आ गई है. दरअसल, लहसुन की खड़ी फसल अचानक खराब होने लगी है. जिसके चलते किसान परेशान है. किसानों का कहना है कि उनकी खड़ी फसल बीमारी लगने के कारण सुख रही है. जिसकी शिकायत लेकर बड़ी संख्या में किसान कृषि वैज्ञानिकों के पास पहुंच रहे हैं. तो आइये जानते हैं कौन-सी बीमारियां है जो लहसुन की फसल को बर्बाद कर रही हैं.  

एंथरेक्नोज बीमारी का प्रकोप

कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुकेश सिंह का कहना है कि लहसुन की फसल पर एंथरेक्नोज नामक बीमारी का साया है. जिसके कारण फसल एकाएक खराब हो रही है. इस बीमारी के कारण लहसुन पीली पड़ खराब हो जाती है. यह बीमारी लहसुन की फसल को बढ़े स्तर पर नुकसान पहुंचा रही है जिसके चलते किसानों को इन बीमारियों से अपनी फसल को बचाने के लिए जरुरी सलाह दी जा रही है.

रोकथाम

इस बीमारी की रोकथाम के लिए आक्सीस्ट्रोबिन के साथ डिफेनकोनोल 1 मिली प्रति लीटर का छिड़काव करें.

थ्रिप्स का प्रकोप

वहीं डॉ सिंह का कहना है कि लहसुन पर थ्रिप्स नामक रोग का भी प्रकोप है. इस बीमारी रोकथाम के लिए किसानों को सिंचाई कम कर देना चाहिए. साथ ही खड़ी फसल में यूरिया का छिड़काव नहीं करना चाहिए.

रोकथाम

थ्रिप्स और एफिड जैसी बीमारियों के रोकथाम के लिए डेफेंथियुरोन 50 डब्ल्यूपी 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. थ्रिप्स और माइट कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल या डाइमेथोएट या मेटा सिस्टोकस का छिड़काव करें. इसके अलावा जल घुलनशील के लिए एनपीके 19-19-19 का छिड़काव करें. इसके अलावा मेटालेक्जील 4 % के साथ मैंकोजेब (64 प्रतिशत) का 40 ग्राम प्रति पंप के हिसाब से छिड़काव करें.

 

 

English Summary: Due to yellowing of garlic crop drying up agricultural scientists told these measures
Published on: 04 January 2021, 04:57 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now