Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 14 January, 2022 1:07 AM IST
Agriculture

मौसम में होता बदलाव कहीं कोहरा तो कहीं बारिश फसलों के लिए बहुत हानिकारक साबित होता है. तापमान में होते उतार चड़ाव की वजह से फसलों पर रोग और कीट का खतरा बढ़ जाता है, जो कि उपज की गुणवत्ता के लिए हानिकारक है. ऐसे में फसल का अच्छी तरह रखरखाव करना चाहिए. ऐसे में फसलों पर रोगों और कीटों का बढ़ते खतरे को नियंत्रित करना बहुत जरुरी होता है. इसलिए फसलों की सुरक्षा हेतु आईसीएआर -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए जरुरी सलाह दी है.

कृषि वैज्ञनिकों द्वारा दी गयी जरूरी सलाह (Important Advice Given By Agricultural Scientists)

  • मौसम में होते बदलाव में सरसों की फसल में चेपा कीट का खतरा अक्सर बढ़ जाता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए किसानों को फसलों पर निरंतर निगरानी करनी चाहिए. इसकी प्रारम्भिक अवस्था में जिस भाग में कीट का प्रभाव हो, उस भाग को काट कर फ़ेंक देना चाहिए.

  • वहीं चने की फसल में फली छेदक कीट का खतरा बढ़ जाता है, तो इसके लिए फसल की समय पर निगरानी रखें. इसके लिए फेरोमोन ट्रैप 3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं. जहां पौधों में 10-15% फूल खिल गये हों. इसके अलावा "T" अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाएं.

  • कद्दूवर्गीय सब्जियों के अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थैलों में भर कर पॉलीहाउस में रखें.

  • सर्दी के महीने में तैयार बन्दगोभी, फूलगोभी, गांठगोभी आदि की अच्छे से रोपाई मेड़ों पर करते रहें.

  • फसलों के पत्तों के बढ़वार के लिए 20 किग्रा. यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं.

  • सर्दी का मौसम गाजर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है, इसलिए इस समय गाजर के अच्छे किस्मों के बीजों का चयन कर खेत में उगा सकते है.

  • इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की अच्छे से रोपाई करें. इसके अलावा रोपाई से 10-15 दिन पहले खेत में 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद डालें. वहीं,  20 किग्रा, नाइट्रोजन, 60-70 किग्रा. फ़ॉस्फोरस और 80-100 किग्रा. पोटाश इसकी आखिरी जुताई में डालें. यह पौधों की  बढ़ावर और उनके अच्छे उपज के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. 

  • गोभीवर्गीय फसल में भी इन दिनों हीरा पीठ इल्ली नाम का कीट लगने की सम्भावना रहती है. ऐसे में  फसल की निगरानी के लिए फीरोमोन ट्रैप  3-4 ट्रैप प्रति एकड़ खेतों में लगाएं.

  • गेंदे की पौध में पूष्प सड़न रोग के खतरा भी रहता हैं. इसके लिए सर्वप्रथम आप उसकी निगरानी करते रहें. इसके अलावा जब भी पौध में यह रोग दिखाई दे, तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर अथवा इन्डोफिल-एम 45 प्रति 2 मिली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.

  • गैर-रासायनिक कीट और रोग प्रबंधन को समझें और उनका उपयोग करें.

  • आवश्यकताओं के अनुसार कृषि रसायनों का भंडारण और उपयोग करें.

  • एग्रोकेमिकल उपयोग का सटीक रिकॉर्ड बनाए रखें.

English Summary: due to fluctuations in temperature, the risk of pests and diseases on crops increasing in this way should be maintained, scientists advised
Published on: 14 January 2022, 02:45 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now