सुवा या सोवा एक गौण बीजीय मसाला है जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसका उपयोग अचार, सॉस, सूप और सलाद में किया जाता है. वहीं मसाले के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है. सुवा के दानों में 3 से 4 प्रतिशत तेल होता है. मध्य प्रदेश में इसकी खेती इंदौर, मंदसौर और उज्जैन जिले में होती है. तो आइए जानते हैं इसकी खेती करने का तरीका-
बुवाई का सही समय
यह रबी सीजन में बोई जाती है. सुवा की बुवाई का सही समय अक्टूबर और नवंबर माह है.
बीजदर
प्रति बीघा इसका ढाई किलोग्राम बीज लगता है. बुवाई से पहले बीज को कार्बेण्डाजिम या थीरम से उपचारित कर लें.
खाद एवं उर्वरक
इसकी अच्छी पैदावार के लिए प्रति बीघा 10 टन गोबर की खाद डालें. नाइट्रोजन और फॉस्फोरस 30-30 किलो की मात्रा में लें. बुवाई के समय फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की आधी मात्रा दें. नाइट्रोजन की आधी मात्रा बराबर भागों में 30 से 60 दिन बाद दें.
कैसे करें बुवाई
सुवा की बुवाई छिटकवा विधि से की जाती है. बुवाई के समय मिट्टी में नमी होनी चाहिए. इसकी अच्छी पैदावार के लिए 2 से 3 सिंचाई की जरूरत पड़ती है.
प्रमुख रोग
वैसे तो सुवा की फसल में बीमारियां बेहद कम लगती है लेकिन इसमें छाछिया रोग का प्रकोप होता है. इसकी रोकथाम के लिए गंधकचुर्ण का भुरकाव प्रति बीघा 4 किलो किया जाता है. वहीं कभी मोयला नामक कीट फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. मोयला से बचाव के लिए डाइमिथोएट 30 ईसी का छिड़काव किया जाता है.
उपज
इससे प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल की पैदावार होती है. जो सामान्यतः 7 से 8 हजार रूपए प्रति क्विंटल बिकता है. इस तरह एक हेक्टेयर से 1 लाख रूपए का मुनाफा हो जाता है.