कृषि और मृदा स्वास्थय पोषण के क्षेत्र में देशभर में झारखंड के पलामू जिलें की खेती-बारी में काफी डंका बज रहा है.दरअसल यहां के किसानों ने जिले के प्रशासन के साथ मिलकर 13 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि में उत्तम खेती करने के लायक तैयार किया है.झारखंड का पलामू जिला नई किस्मों की फसल पर खेती करके आत्मनिर्भर बनने की राह पर तेजी से चल पड़ा है. आज पलामू में स्ट्रॉबेरी, शिमला मिर्च, संतरा, नींबू, महंगे फूल, इंग्लिश गुलाब, हाईब्रिड गेंदे की खेती से तेजी से हॉर्टिकल्चर को बढ़ावा मिल रहा है. इस जिले में थोड़ी कम ही बारिश होती है इसीलिए किसान यहां पर कम पानी वाली फसल को ही बढ़ावा देने का कार्य करते है.
जिले का स्कोर बढ़ा
किसानों को खेती करने के लिए स्प्रिंलकर, ड्रिप एरिगेशन की भी जरूरत महसूस की गई है.इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर स्प्रिंलकर व ड्रिप के उपकरणों को उपलब्ध करवाया गया है. यहां के किसान आज सरकारी योजनाओं का इंतजार किए बगैर स्वयं माइक्रो एरिगेशन से जुड़ गए है.यहां पर अगस्त महीने में कृषि के क्षेत्र में आकांक्षी जिला का स्कोर बढ़कर 30.6 हो गया.
जिले को 10 करोड़ मिलेंगे
खेती-बाड़ी में पलामू जिला देशभर में काफी ज्यादा अव्वल है. यहां पर पालमू जिला पहली बार देश के 114 आकांक्षी जिलों में काफी अव्वल आया है. इसके लिए सरकार की ओर से पलामू को 10 करोड़ रूपय मिलेंगे.इसके लिए संबंधित विकास योजनाओं की रिपोर्ट भी बनाकर भेजी है. यहां पर मृदा हेल्थ कार्ड का लक्ष्य भी 70 हजार तक रखा गया है जिनमें से करीब 67 हजार के आसपास मृदा स्वास्थ्य कार्ड बन चुके है.
पालमू में तेजी से विकसित हो रही खेती
सायल हेल्थ कार्ड खेतों की मिट्टी की जांच के लिए बनाया जाता है. इससे मिट्टी का पूरा पीएचट वैल्यू निकाला जाता है. जिससे यह पता चलता है कि मृदा अम्लीय है या फिर क्षारीय. अम्लीय हो जाने पर संतरा, नींबू, मौसम्मी, खट्टा मीठा पैदा होने वाली फसलों का उत्पादन काफी बेहतर होता है. यहां पर पालमू में 98 प्रतिशत अम्लीय व एक प्रतिशत क्षारीय भूमि है.पालमू में खेती को तेजी से विकसित किया जा रहा है. यहां पर अब परंपरागत खेती को करने पर विशेष रूप से जोर दिया जा रहा है.