किसी भी फसल की अच्छी पैदावार के लिए जरुरी है उसके सही किस्म का चयन होना. आज हम अपने इस लेख में आपको सरसों की एक नयी किस्म के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती कर किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
दरअसल, भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने सरसों की एक नयी किस्म को विकसित किया है जिसका नाम पूसा डबल जीरो मस्टर्ड-31 (Pusa Double Zero Mustard-31) है. ये ख़ास तरह की किस्म है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह हमारे स्वस्थ्य के लिए काफी लाभदायक है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्त्व स्वास्थ्य वर्धक होते हैं. तो आइये जानते हैं इस लेख में सरसों की पूसा डबल जीरो मस्टर्ड-31 किस्म की खासियत के बारे में.
पूसा डबल जीरो मस्टर्ड-31 की खासियत (Features of Pusa Double Zero Mustard-31)
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सरसों की इस किस्म (Musturd Variety) की उपज अच्छी होती है.
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सरसों की इस किस्म की औसतन पैदावार 24-25 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है.
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अन्य सरसों किस्मों में इरुसिक एसिड (Erucic acid ) की मात्रा 42 फीसदी पाई जाती है. जो स्वस्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है, लेकिन सरसों की किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड-31 में इरुसिक एसिड की मात्रा 2 फीसदी पाई जाती है जो स्वस्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है
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बता दें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में सहायक महानिदेशक (बीज) डॉ. डीके यादव का कहना है कि सरसों की यह किस्म बहुत ही अच्छी है इस किस्म की खेती पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं पश्चिम यूपी में की जा सकती है.
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सरसों की यह किस्म 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
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सामान्य सरसों एक बीघा में सवा क्विंटल तक निकलती है. लेकिन पूसा सरसों -31 की पैदावार दो क्विंटल प्रति बीघा से भी अधिक है. यह किसानों के लिए बंपर पैदावार वाली किस्म है
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इस किस्म में 42% तेल निकलता है.
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इस किस्म की खली का उपयोग जानवरों के लिए काफी फायदेमंद है, इससे जानवरों में रोग होने की सम्भावना कम रहती है.
जानकारी के लिए बता दें कि किसान भाई सरसों की इन किस्मों से फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. ये किस्म किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगी. इसके साथ ही कृषि को एक नई दिशा प्रदान करेंगी.
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