धान और गेहूं की भारत के प्रमुख फसलों में से एक है. भारत समेत कई एशियाई देशों की मुख्य खाद्य फसल धान है. इतना ही नहीं दुनिया में मक्का के बाद जो फसल सबसे ज्यादा उगाई जाती है वो धान है. धान की बढ़ती खपत को देखते हुए करोड़ों किसान आज भी धान की खेती करना पसंद करते हैं.
खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान पूरे भारत में बोई जाती है. देश में प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलांगाना, पंजाब, उड़ीसा, बिहार व छत्तीसगढ़ हैं. इन जगहों पर धान की खेती अधिक और उच्च श्रेणी की होती है.
भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के कृषि वैज्ञानिक डॉ. पी. रघुवीर राव बताते हैं, "देश को चार अलग-अलग भोगौलिक भागों में बांटा गया है. जहाँ अलग-अलग राज्यों में धान की खेती होती है और हर जगह मौसम भी अलग होता है, हर जगह के हिसाब से धान की किस्में विकसित की जाती हैं, इसलिए किसानों को अपने प्रदेश के हिसाब से विकसित किस्मों की ही खेती करनी चाहिए.
किस्मों को विकसित करते समय उनके जलवायु और मौसम का ख़ास ध्यान रखा जाता है, ताकि फसल उसके अनुकूल उपज सके. विकसित की गयी किस्मों को उपजाना आसान होता है. किस्मों को जगह और जलवायु के हिसाब से विकसित करने वक़्त ये ध्यान रखा जाता है कि इसमें कम से कम मेहनत, लागत और पानी का उपयोग किया जाए.
धान की रोपाई के वक्त पानी की समस्या काफ़ी आम हो चुकी है. ऐसे में किसानों को या तो पैसे खर्च कर पम्पिंग सेट का सहारा लेना पड़ता है या फिर बारिश होने तक इंतज़ार, दोनों ही हालात में नुकसान किसानों का ही होता है. इन सभी चीज़ों को मद्देनजर रखते हुए ICAR के अलग-अलग अनुसन्धान केंद्रों ने धान की किस्में खोज निकाली गई है. इन किस्मों को पारम्परिक ढंग से ना बुवाई कर आप नए ढंग से भी कर सकते है.
धान की कुछ ऐसी भी प्रमुख किस्में हैं जिनको GI टैग से भी नवाज़ा गया है. GI टैग किस्मों कि विशेषता, उपज और और उससे होने वाले मुनाफों को देखते हुए किसी भी किस्म को दिया जाता है.
धान की 8 उन्नत किस्में और विशेषताएं
पूसा बासमती 1979 : पूसा बासमती 1121 में शाकनाशी यानि Herbicide टॉलरेंस की क्षमता काफी अधिक है. इसकी खेती पारम्परिक तरीकों से नहीं कर सीधे किया जाता है.
पूसा बासमती 1985: पूसा बासमती 1509 में शाकनाशी यानि Herbicide टॉलरेंस की क्षमता काफी अधिक है. इसकी खेती पारम्परिक तरीकों से नहीं कर सीधे किया जाता है.
पूसा बासमती 1986 : पूसा बासमती 6 में जीवाणु पत्ती अंगमारी और झुलसा रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है.
पूसा बासमती 1847: इस 1509 किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट और झुलसा रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है.
पूसा बासमती 1885 : इस किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट और झुलसा रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है.
DRR धान 58: सांभा मंसूरी की पृष्ठभूमि में बैक्टीरियल ब्लाइट (Xa21, xa13, xa5) और अंकुर चरण लवणता सहिष्णुता प्रतिरोधी क्षमता पाई जाती है.
DRR धान 59: धान की इस में भी बैक्टीरियल ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी क्षमता पाया जाता है.
DRR धान 60: सांभा मसूरी की पृष्ठभूमि में बैक्टीरियल ब्लाइट (Xa21, xa13, xa5) और कम मिट्टी फास्फोरस सहिष्णुता (Pup1) की प्रतिरोधी क्षमता पाई जाती है.