रासायनिक कीटनाशी का छिड़काव फसल में करने से होने वाले दुष्परिणाम से जमीन बंजर हो रही है और वातावरण भी प्रदूषित होता है. इसके साथ ही धीरे-धीरे इन कीटनाशकों का असर भी कम होने लगा है क्योंकि ये कीट रसायनों के प्रति सहनशीलता विकसित कर देते हैं. अतः हमे इन रसायनों का अधिक मात्रा में भी प्रयोग करना पड़ता है जिससे किसान की लागत बढ़ने के साथ-साथ नुकसानदायक भी होता है. इसका एक मात्र तोड़ है मेटारीजियम एनीसोपली विधि. जो फसल को कीटों से बचाती है और पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता. मेटारीजियम एनीसोपली से 2 सौ तरह के कीटों का सफाया किया जा सकता है.
क्या है मेटारीजियम एनीसोपली (What is Metarhizium anisopliae)
यह एक ऐसा जैविक फफूंदी है, जो विभिन्न प्रकार की फसलों, फलों एवं सब्जियों में लगने वाले फली बेधक, फल छेदक, पत्ती लपेटक, पत्ती खाने वाले कीट, दीमक, सफेद लट्ट, थ्रिप्स, घास और पौधे का टिड्डा, एफिड, सेमीलूपर, कटवर्म, पाइरिल्ला, मिलीबग आदि की रोकथाम में काम आती है.
मेटारीजियम कीटनाशक की क्रिया विधि (Method of action of Metarhizium anisopliae)
जब मेटारीजियम एनिसोपली के कवक बीजाणु कीट के सम्पर्क में आते हैं तो त्वचा के माध्यम से कीट के शरीर में प्रवेश करके उसमे वृद्धि करते हैं और कीट को नष्ट कर देते हैं. जब कीट मरता है तो पहले कीट के शरीर पर सफेद रंग का कवक सा दिखाई देता है जो बाद में गहरे हरे रंग में बदल जाता है. यह कवक कीटों के शरीर में कवक जाल बनाकर कीट के शारीरिक भोजन पदार्थों को अवशोषित करके स्वतः वृद्धि कर लेता है. यह कवक (फफूंद) ट्टी में स्वतंत्र रूप से पाई जाती है और यह सामान्यतयः कीटों में परजीवी के रूप में पाया होती है. इसलिए इसे प्रयोगशाला में गुणन (मल्टीप्लाई) करा कर दिया जाता है| जो बाद में हमे बाजारों में विक्रय के लिए मिल पाता है. मेटारीजियम एनिसोपली मनुष्य या अन्य जानवरों को संक्रमित या विषाक्त नहीं करता है तथा कम आर्द्रता और अधिक तापक्रम पर अधिक प्रभावी होता है. यह कवक 50% से कम नमी पर भी अपने बीजाणु उत्पन्न कर लेता हैं जिससे इनका जीवन चक्र मिट्टी और कीटों पर चलता रहता है.
मेटारीजियम एनीसोपली की प्रयोग विधि (Method of use of Metarhizium anisopliae)
मेटारीजियम एनिसोपली 1% WP और 1.15% WP फार्मुलेशन में उपलब्ध है. जिसे मिट्टी उपचार, सिंचाई के साथ तथा छिड़काव विधि से इस्तेमाल किया जा सकता है.
मिटटी उपचार- इसका उपयोग मिटटी उपचार के लिए 1 किलोग्राम मेटारीजियम एनीसोपली पाउडर को 100 किलोग्राम अच्छी सड़ी गोबर की खाद में अच्छी तरह मिलाकर 7-10 दिनों के लिए रखें. इसके बाद खेत की अंतिम जुताई के समय एक एकड़ खेत में इस्तेमाल करें.
पर्णीय छिड़काव- मेटारीजियम एनीसोपली का प्रयोग मक्का, गन्ना, सोयाबीन, कपास, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, धान, आलू, नीबू वर्गीय फलों और विभिन्न सब्जियों आदि में प्रयोग किया जाता है. इसके लिए मेटारीजियम एनीसोपली की 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में चिपको के साथ घोल बनाकर खड़ी फसल में सुबह या शाम के समय छिड़काव करें.
सिंचाई के साथ: द्रव मेटारीजियम एनिसोपली को ड्रिप सिंचाई के साथ देने पर मिट्टी में मौजूद सफ़ेद लट्ट, दीमक पर नियंत्रण पाया जा सकता है. इसके लिए ड्रिप सिंचाई के पानी में इसको मिलाकर उपयोग किया जा सकता है और बहते पानी में धीरे-धीरे मेटाराइजियम एनिसोपली की बुँदे छोड़ने पर भी इसका असर देखता है.
मेटारीजियम एनीसोपली के उपयोग में सावधानियां (Precautions in the use of Metarhizium anisopliae)
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सूक्ष्मजीवियों पर आधारित कीटनाशी पर सूर्य की पराबैगनी किरणों का विपरीत प्रभाव पड़ता है, अतः इनका इस्तेमाल सुबह या शाम समय करें
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चूंकि मेटारीजियम एनिसोपली खुद एक फंगस है अतः प्रयोग से 15 दिन पहले और बाद में रासायनिक फफूंदनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
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इसके गुणन (मल्टीप्लाई) के लिए पर्याप्त नमी और तापमान का होना जरूरी.
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इस मेटारीजियम एनिसोपली की सेल्फ लाइफ एक साल की होती है, अतः इनको खरीदने और प्रयोग करने से पहले इसके बनने की तिथि पर अवश्य ध्यान दें.
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गोबर की खाद के साथ उपयोग करने के समय खेत में नमी होनी चाहिए और दोपहर या गर्म दोनों में मेटारीजियम एनिसोपली के प्रयोग से बचें.