Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 15 November, 2019 12:36 PM IST

सीताफल का स्वाद आखिर कौन नहीं लेना चाहता है. इसका वानस्पतिक नाम अनौनत्रा अनोनास है. नंदेली गांव में इसको कठोर नाम से जाना जाता है, यह पेड़ बहुत पहले ही अन्य देशों से लाया गया था. इसका पेड़ छोटा और तना पूरी तरह से साफ छाल हल्के नीले रंग की लकड़ी होती है. इसकी मिठास और पूरा स्वाद इतना अच्छा है कि सीजन में हर कोई इसके स्वाद को चखना चाहता है. यह फल जितना ज्यादा मीठा है उतना ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है.यहां पर छत्तीसगढ़ के कांकेर में इस फल की न सिर्फ प्राकृतिक रूप से काफी पैदावार हो रही है बल्कि हर साल इसका उत्पादन और विपणन भी बढ़ रहा है. कांकेर के सीताफल की अपनी अलग विशेषता होने के चलते अन्य स्थानों पर ज्यादा डिमांड रहती है.

कंकेर घाटी में बिखरा सौंदर्य

यहां पर राज्य के स्थानीय प्रशासन के जरिए सीताफल को न सिर्फ विशेष रूप से ब्रांडिग, पैकेजिंग, मार्केटिंग में सहयोग करके इससे जुड़ी महिला स्व सहायता समूह को लाभ पहुंचाने का काम किया जाता है. साथ ही उनको आत्मनिर्भर बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है. इससे किसानों को काफी ज्यादा लाभ होने की उम्मीद है. इसका परिणाम यह है कि आज सीताफल की ग्रेडिंग और संग्रहण करने वाली स्व सहायता समूह वाली महिलाओं  और इनसे जुड़े पुरूष को लगभग 25 लाख रूपये तक की आमदनी होने की पूरी उम्मीद है. कांकेर वैली में सीताफल के रूप मे अलग-अलग ग्रेडिंग करके 200 टन विपणन का लक्ष्य रखा है.

सीताफल का उत्पादन वैसे तो कई जगह पर होता है लेकिन कांकेर जिला का यह सीताफल राज्य में काफी प्रसिद्ध है. यहां पर प्राकृतिक रूप से उत्पादित सीताफल के 3 लाख 19 हजार पौधे उपलब्ध है, इससे प्रतिवर्ष अक्टूबर से नवंबर महीने तक कुल छह हजार टन सीताफल का उत्पादन होता है. यहां पर सीताफल के पौधों में किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद और कीटनाशक का किसी भी तरह से प्रयोग नहीं किया जाता है.

टेकमटेला बनेगा शोध केंद्र

यह पूरी तरह से जैविक होता है, इसीलिए यह स्वादिष्ट होने के साथ ही काफी पौष्टिक होता है. यहां पर प्राकृतिक रूप से उत्पादित सीताफल को आसपास की ग्रामीण महिलाएं और पुरूष संग्रह करके बेचते है, इससे थोड़ी बहुत आमदनी उनकी हो जाती थी. लेकिन उनको पहले कोई भी ऐसा मार्गदर्शक नहीं मिला जो इनकी मेहनत का ठीक दाम दिला दें.

English Summary: Cultivation of Sitaphal in Chhattisgarh will give huge profits to farmers
Published on: 15 November 2019, 12:39 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now