पोई एक ऐसी सब्जी है जिसकी खेती पूरे साल की जा सकती है. पोई में अन्य सब्जियों की तुलना में कई गुना ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें विटामिन ए, बी, सी और ई प्रचुर मात्रा में होते हैं. बाजार में आज-कल लोग शरीर को फायदे देने वाली ही सब्जियों का चयन करते हैं. इसका नियमित रूप से सेवन दिल की बिमारियों को कम करता है.
खेती का तरीका
मिट्टी
पोई के रोपाई के लिए दोमट, बलुई मिट्टी उचित होती है. इसकी खेती करने से पहले आप मिट्टी की जुताई करने के बाद इसमें सड़े गोबर की खाद, कंपोस्ट को मिला दें. किचन गार्डेन में गोबर की खाद मिलकार मिट्टी को गमले में भर दें. इसके पौधे की रोपाई के लिए मिट्टी में नमी रहना जरुरी है.
रोपाई
पोई एक बहुवर्षीय फसल है. इसकी एक बार रोपाई के बाद इसकी पत्तियों का इस्तेमाल साल भर तक किया जा सकता है. इसकी रोपाई का सही समय फरवरी-मार्च महीने के बीच किया जाता है.
सिंचाई
इसकी फसल को 15 दिनों के अंतराल में पानी की आवश्यकता होती है. गर्मियों के दिन में यह अंतराल 5 से 10 दिन का हो जाता है. इन पौधों में अच्छे गुण पाए जाते हैं, ऐसे में इसको सायनिक खाद देने से परहेज करना चाहिए.
कीट नियंत्रण
पोई के पौधों मे किसी तरह की बीमारी नहीं लगती है. इसकी पत्तियों पर कभी-कभी लाल धब्बे पड़ जाते हैं, अगर पत्तियों में रोग का प्रकोप दिखने लगे तो इसे तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.
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उपज
पोई पत्तियों की तुड़ाई प्रत्येक सप्ताह करते रहना चाहिए. इसकी दस वर्ग मीटर के खेत से 40 से 60 किलोग्राम पत्तियां निकलती हैं. इसे बाजार में आसानी से 50 से 100 रुपये प्रति किलो की हिसाब से बेचा जा सकता है.
फायदे
पोई मे पाया जाने वाला डायटरी फाइबर कब्ज से बचाता है और कोलेस्ट्राल लेवल को भी कम करता है. यह रक्त में थक्का बनने से भी रोकता है. पोई के साग का सेवन से गहरी नींद आती है. साग के अलावा इससे पकौड़े, सलाद, और कोफ्ता भी बनाया जाता है. इसे हम घर में सजावट के लिए भी उपयोग कर सकते हैं.