औषधीय पौधा पार्सले जिसे हिंदी में अजमोद कहा जाता है। जो कई शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट तत्व से भरपूर है, स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है। जड़ी बूटी के पत्ते, तना और बीज कई व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं। अजमोद का उपयोग उच्च रक्तचाप, एलर्जी और श्वास सम्बन्धी बीमारियों के इलाज के लिए होता है। यह व्यापक रूप से एक ताजा पाक जड़ी बूटी या सूखे मसाले के रूप में उपयोग होता है। यह चमकीले हरे रंग का होता है और इसमें हल्का, कड़वा स्वाद होता है जो कई व्यंजनों के साथ अच्छा लगता है। इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं, आइये जानते हैं उन्नत खेती का सही तरीका
जलवायु- यह ठंडे मौसम की फसल है, जो समृद्ध, नम मिट्टी में अच्छे से उगाया जा सकता है। ठंड के मौसम में कम आर्द्रता और 22° – 30° सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।
मिट्टी- खेती के लिए जमीन दोमट या हल्की बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है लेकिन हल्की और भारी सभी प्रकार के नम मिट्टी में, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी, पूर्ण सूर्य के साथ की रौशनी भी उगाया जा सकता है।
खेत की तैयारी- सबसे पहले खेत की अच्छे से देशी हल या ट्रैक्टर हैरो, कल्टीवेटर से 2-3 बार जुताई करें। भारी मिट्टी में 1-2 जुताई ज्यादा करें। ध्यान रखे की आखिरी जुताई के समय खरपतवार, ढेले, घास बिकुल भी न रहें। साथ ही खेत में जल निकासी का प्रबंध करें।
बीज की मात्रा- प्रति हैक्टर 800-1000 ग्राम बीज की जरुरत होती है। इसका बीज छोटा होता है इसलिए प्रति एकड़ 200-300 ग्राम पर्याप्त है। बीज बोने का उचित समय सितम्बर-अक्टूबर है। इस समय बीज शत-प्रतिशत अंकुरित होते हैं।
बीज बोने की विधि- बीज बोते समय सावधानी रखें, क्योंकि बीज छोटा होने से अंकुरण मुश्किल होता है। इसलिए बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर ही बोयें। बोने के लिए नर्सरी में ऊंची उठी हुई क्यारियां तैयार करें जो 10-15 सेमी. उठी हों। खाद को मिट्टी में भली-भांति मिलाकर बीज को पंक्तियों में बोयें और इन पंक्तियों की आपस की दूरी 6-8 सेमी. और बीजों को लगभग मिलाकर ही बोयें। बीज बोने के बाद पंक्तियों के ऊपर बारीक पत्तियों की खाद की परत हल्की-सी ऊपर लगा दें। पौधों को पौधशाला में 10-15 सेमी. ऊंचे होने पर रोपाई के लिये उपयोग में लाना चाहिए।
पौधों की रोपाई और दूरी- पौधों को पौधशाला में तैयार या लगाने लायक हो जाने पर तैयार किए खेत या क्यारियों में रोपना चाहिए। यह रोपाई शाम के समय 3-4 बजे करनी चाहिए जिससे पौधे मुरझाने न पायें। पौधे लगाने के तुरन्त बाद पानी दें। रात्रि को ठण्डा मौसम और ओस मिलने से सुबह को पौधे स्वस्थ सीधे खड़े मिलते हैं। पौधों को रोपते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी आपस में 45 सेमी. और पौधे से पौधे की आपस की दूरी 30 सेमी रखनी चाहिए।
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सिंचाई:- पहली सिंचाई पौध रोपण के तुरन्त बाद और बाद में हर 10-12 दिन के बाद 6-7 बार करें।