Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 1 February, 2023 11:56 AM IST
कस्तूरी भिन्डी की खेती

कस्तूरी का उपयोग प्राचीन काल से औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता आ रहा है. इसके अलावा इससे इत्र भी बनाया जाता है. सारी दुनिया इसकी खुशबू की दिवानी है. भिण्डी को हम सब्जी की फसल के रूप में अच्छे से जानते हैं, लेकिन भारतीय वनों में कस्तूरी भिण्डी भी जंगली प्रजाति के रूप में पाई जाती है. कस्तूरी भिण्डी की बढ़ती मांग और वनों में इसकी घटती उपलब्धता ने विशेषज्ञों को इसे एक उपयोगी औषधि एवं सुगंध फसल के रूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया. इसके प्राप्ति के लिए वैज्ञानिकों द्वारा व्यापक अनुसंधान किये गये और इसकी कृषि की उन्नत तकनीके विकसित की गई.

जलवायु

इसकी खेती भारत के उष्ण क्षेत्रों में की जाती है. इसके लिए जलभराव व पालामुक्त क्षेत्र उपयुक्त माना जाता है.  यह व्यावसायिक स्तर पर बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान व गुजरात राज्यों में उगाई जाती है.

मृदा

इसको सभी प्रकार की मृदा में आसानी से उगाया जा सकता है. इसका पौधा 4-5 फीट ऊंचा बहुवर्षीय झाड़ीनुमा आकार का होता है. इसकी पत्तियों और तने पर रोयें होते है. पत्तियां 8-10 से.मी. चौड़ी होती हैं. इसके फूल पीले रंग के होते है

प्रबंधन

फसल की बोआई बीज द्वारा की जाती है, इसमें लाभकारी सूक्ष्म जीवों को चूर्ण के रूप में मिश्रित भी किया जा सकता है. कस्तूरी भिण्डी की फसल में समय-समय पर अनावश्यक खरपतवारों को उखाड़ने की आवश्यकता होती है, इसमें खरपतवार नाशी औषधियों का उपयोग नहीं किया जाता है. आम तौर पर हर 10 से 15 दिनों के अंतराल में खरपतवारों को उखाड़ने की आवश्यकता होती है.

खाद

भिण्डी उत्पादक तो आधुनिक कृषि रसायनों का प्रयोग कर इन पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते हैं. लेकिन कस्तूरी भिण्डी की खेत में यह संभव नहीं हो पाता है. आधुनिक रसायनों के प्रयोग से कीट और रोग नियंत्रित तो हो जाते हैं पर कस्तूरी भिण्डी के बीज अपनी स्वभाविक गंध खो बैठते हैं, जिसके कारण इनका बाजार मूल्य कम हो जाता है. वर्षा ऋतु में भूमि में 25 क्विंटल गोबर की खाद, 2 किलो ग्राम  नीम की खल और 2 किलो ग्राम अरण्डी की खल मिला देनी चाहिए. इसमें रासायनिक खाद की आवश्यकता नही होती है

कीट प्रबंधन

तना काटने वाले कीटो के लिए नीम  का  काढ़ा पांच लीटर और दस लीटर गौ के मूत्र को दो सौ लीटर  पानी में मिलाकर पौधों पर  छिड़काव करना चाहिए

ये भी पढ़ेंः कस्तूरी रुई की ब्रांडिंग करने और कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहतर बीजों की जरूरत: कपड़ा मंत्री

कटाई

बोआई के 5 से 7 महिने में भिन्डी पर पके हुये 'कैप्सूल' को तोड़कर सुखाते रहते हैं और अन्त में इसे पीटकर बीज को निकाल लें और फिर इसे सुखा लें. कस्तुरी भिंडी की खेती से प्रति हैक्टर 18 से 20 क्विंटल तक के सूखे बीज का उत्पादन किया जा सकता है.

English Summary: Cultivation of Kasturi Bhindi
Published on: 01 February 2023, 12:03 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now