जबरदस्त है गहरी जुताई के फायदे, कम लागत के साथ बढ़ता है उत्पादन! 10 वर्ष पुरानी आदिवासी पत्रिका 'ककसाड़' के नवीनतम संस्करण का कृषि जागरण के केजे चौपाल में हुआ विमोचन Vegetables & Fruits Business: घर से शुरू करें ऑनलाइन सब्जी और फल बेचना का बिजनेस, होगी हर महीने बंपर कमाई Rural Business Idea: गांव में रहकर शुरू करें कम बजट के व्यवसाय, होगी हर महीने लाखों की कमाई एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 6 December, 2019 4:20 PM IST

जटामांसी एक बारहमासी पौधा है जो आकार में छोटा, शाकीय और रोमयुक्त होता है. यह सीधा बालों वाला,  10 - 60 सेमी. की लंबाई वाला पौधा होता है. इसके प्रकन्द मोटे, लम्बे तथा पत्तियों के अवशेष के साथ ढके हुए होते है. पत्तियां मूलभूत होने के साथ स्तंभीय भी होती है.

जलवायु और मिट्टी

यह पौधा सामान्यता : 25 - 45 डिग्री ताप  वाली पहाड़ों की खाड़ी ढलान वाले क्षेत्रों में पाया जाता है. दोमट तथा छिद्रिल मिटटी इसके लिए अधिक उपयुक्त होती है.

उगाने की सामग्री

बीज

नर्सरी तकनीक

पौध तैयार करना

मई माह में नर्सरी में बीजों से फसल को तैयार किया जा सकता है.पौध दर तथा पूर्व उपचार. लगभग 600 ग्राम बीजों को एक हेक्टयर जमीन में बोया जा सकता है. बीजों और प्रकंदों को जीए3  (जिबरलिकएसिड) के साथ 100 पीपीएम और 200 पीपीएम में 48 घंटों तक  पूर्व  उपचार किया जाता है. जिससे तेजी से अंकुरण में सहायता  मिलती है.

खेत में रोपण

भूमि की तैयारी और उर्वरक प्रयोग :

गर्मी के मौसम के दौरान भूमि को खोदकर या हल चलाकर पहले समतल किया जाता है और क्यारियों  को दाई  तरफ खुला छोड़ते हुए  सप्ताह में एक बार सौरीकारण किया जाता है. केंचुआ खाद / एफवाईएम को बीज बोने  से पूर्व क्यारियों में डाला जाता है तथा प्रकंदों को प्रत्यारोपित किया जाता है. पौधे के विकास के लिए लगभग 40  कुंतल एफवाईएम वन की घास फूस की खाद प्रति हेक्टयर अधिक उपयुक्त होती है. 

पौधा रोपण और अनुकूलतम दूरी :

20 सेमी.* 20 सेमी. या 20 सेमी * 30 सेमी. की  दूरी  रखते हुए बीजों को अंकुरण के 50-60 दिनों के बाद प्रत्यारोपित करना चाहिए. प्रत्यारोपन कार्य  को प्रारम्भ करने से 15 दिन पहले खाद को मिट्टी में मिलाना चाहिए. उसके बाद निराई तथा भूमि समतल की जाती है. 0.2 -0.25 मिलियन पौध 1 हेक्टयर भूमि के लिए जरूरी होती है.

अंतर फसल प्रणाली :

इसे एकल फसल के रूप में उगाया जाता है.

संवर्धन विधि और रख रखाव पद्धतियाँ :

प्रति हेक्टयर में 6.0 -8.0 टन तक खाद डालनी चाहिए. प्रथम वर्ष में 50 प्रतिशत खाद क प्रयोग किया जाता है और बची हुई खाद को 2 हिस्सों में दूसरे और तीसरे वर्ष के दौरान प्रयोग में लाया जाता है. सिंचाई :

प्रारम्भ में निचले भागों में वैकल्पिक दिनों में सिंचाई करनी चाहिए. शुष्क मौसम में सप्ताह के अंतराल में सिंचाई की जानी चाहिए. मिट्टी में लगातार नमी बनाये रखना चाहिए.

फसल प्रबंधन :

फसल पकना और कटाई :

बीजों के द्वारा फसल उगाने से फसल के पकने में 3 से 4 वर्ष लग जाते है. प्रकन्दों के माध्यम से फसल उगाने में 2 से 3 वर्ष का समय लगता है. पौधों का अक्टूबर में पकने के बाद संग्रहण करना चाहिए.

कटाई पश्चात प्रबंधन :

जड़ों को धोकर अच्छी तरह से छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए. सुखाई गयी सामग्री को जूट के थैलों अथवा लकड़ी के डिब्बों में रखा जाता है और शुष्क गोदामों में भंडारित किया जाता है.

पैदावार :

प्रति हेक्टयर 835 किलोग्राम सूखी जड़े प्राप्त होती है.

जटामांसी की खेती पर सब्सिडी

इसकी खेती करने वाले किसानों को राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की ओर से 75 प्रतिशत अनुदान मिलता है.

English Summary: cultivation of jatamansi Advanced cultivation of jatamansi, get 75 percent subsidy --
Published on: 06 December 2019, 04:28 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now