देश में धान की डिमांड रहती है, क्योंकि लगभग 80 फीसदी लोग चावल खाते ही हैं ऐसे में धान की खेती तो मुनाफे का सौदा साबित होती है, साथ ही किसान नई-नई किस्मों की खेती कर डबल मुनाफा कमा रहे हैं, इस बीच बता दें धान की कई किस्मों में से एक गरमा धान की खेती किसानों के लिए बहुत मुनाफा दे रही है इसकी खेती करके किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि गरमा धान की फसल को पक कर तैयार होने में सिर्फ 2 से 3 महीने का ही समय लगता है गरमा धान का प्रयोग चूड़ा बनाने में होता है इसलिए पश्चिम बंगाल में धान की इस किस्म की मांग ज्यादा होती है,
2 महीने में तैयार फसल
रबी की फसल कटते ही धान की रोपाई शुरू हो जाती है और खरीफ सीजन आने से पहले ही यानी सिर्फ 2 महीने में गरमा धान पक जाती है.
खेती का उपयुक्त समय
गरमा धान की बुवाई के लिए मध्य जनवरी से मध्य फरवरी तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है फरवरी महीने के आखिरी सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह में भी बुवाई की जा सकती है. पछेती बुवाई भी की जाए तो जल्दी तैयार होने के कारण अगस्त महीने में इसकी कटाई हो सकती है.
गरमा धान की खेती का तरीका
गरमा धान की खेती के लिए पहले उसके बीज को तैयार करना होता है. खास बात ये है कि इसके बीज को तैयार होने में भी अन्य धान की तुलना में कम समय लगता है. बीज तैयार हो जाने के बाद खेत तैयार करके बुवाई की जाती है. बुवाई के समय पौधे को 15 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए.
पश्चिम बंगाल में काफी डिमांड
बहरहाल गरमा धान की खेती रोहतास जिले के अलावा झारखंड में भी होती है. इस धान की डिमांड पश्चिम बंगाल में काफी ज्यादा है. क्योंकि वहां के व्यापारी इस धान की खरीदारी सबसे अधिक करते हैं वहां इससे बने चूड़े की काफी डिमांड है और इस धान से बना चूड़ा अच्छा होता है.
ये भी पढ़ेंः गरमा फसल कब बोई जाती है और कब काटी जाती है? पढ़िए पूरी जानकारी
अच्छी होती आमदनी
गरमा धान की खेती करने से किसानों को कम समय में अच्छी-खासी आमदनी होती है क्योंकि किसान रबी से खरीफ सीजन के बीच के समय में दो फसल की पैदावार कर लेते हैं. वहीं किसान भी मानते हैं कि उनका गरमा धान की खेती का मकसद कम समय में अधिक मुनाफा कमाना है. इसे देखकर अब धीरे-धीरे आस-पास के जिलों में भी किसान इसकी खेती की ओर रुख कर रहे हैं और एक प्रयोग के तौर पर खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं.